
रक्षक इंटेंसिव केयर
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। भारत में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में लगातार बढ़ोतरी एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम के अनुसार दुनिया में हर 100 नवजातों में से 30 शिशु भारत में होते हैं। इसके अलावा भारत में हर 1000 बच्चों में से 37 बच्चों की मौत शुरुआती दिनों में हो जाती है। इस स्थिति में नवजातों के लिए इंटेंसिव केयर की सुविधाओं की कमी और ज़िला अस्पतालों पर बढ़ता हुआ दबाव अस्पतालों में हादसों की संभावना को और बढ़ा देता है। आइए जानते हैं कि आखिर इस समस्या के बड़े कारण क्या है। क्या समय रहते इस समस्या से निपटा जा सकता है। क्या कहते हैं विशेषज्ञ-
अस्पतालों में बढ़ता दबाव
भारत में विशेष रूप से दूर-दराज इलाकों में नवजात शिशुओं के लिए इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) की सुविधाएं अत्यंत सीमित हैं। इसके परिणामस्वरूप जिला अस्पतालों पर अत्यधिक दबाव बढ़ जाता है, क्योंकि उन्हें अतिरिक्त मरीजों को संभालने की कोशिश करनी पड़ती है। अक्सर इन अस्पतालों में बच्चों के लिए इंटेंसिव केयर यूनिट में 50 तक बेड लगाए जाते हैं, जबकि एक आईसीयू में आमतौर पर 8-10 बेड होते हैं।
इन परिस्थितियों में डॉक्टरों के लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वे मरीजों को मना कर सकें। खासकर जब अस्पताल में भर्ती होने वाले नवजातों की संख्या अधिक हो। इसके कारण डॉक्टर अतिरिक्त बेड लगाकर इलाज की कोशिश करते हैं। यह स्थिति मशीनों पर अतिरिक्त लोड डाल देती है। इससे उनका ओवरहीटिंग और शॉर्ट सर्किट होने का खतरा बढ़ जाता है।
मशीनों पर बढ़ता लोड
नवजातों के लिए इंटेंसिव केयर में अधिकतर उपकरण और मशीनें बिजली पर निर्भर होती हैं, जैसे वेंटिलेटर, वॉर्मर और मॉनिटर। इन उपकरणों का अत्यधिक उपयोग और लगातार काम करने से वे जल्दी गर्म हो जाते हैं। इन मशीनों की क्षमता से अधिक लोड पड़ने पर उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे ओवरहीटिंग और शॉर्ट सर्किट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अगर इनकी नियमित जांच और मेंटेनेंस न हो, तो इससे बड़े हादसों का खतरा हो सकता है, जैसा कि कई अस्पतालों में हुआ है।
अस्पतालों में दबाव से होने वाले संभावित हादसे
- मशीनों का ओवरलोड : अधिक संख्या में मरीजों का इलाज करने के लिए अस्पतालों को अधिक बेड और मशीनों की आवश्यकता होती है, जो अक्सर उनकी कार्यक्षमता से बाहर होते हैं।
- अस्पतालों में फायर सेफ्टी की कमी : जब मशीनें अधिक लोड पर काम करती हैं, तो उनका हीटिंग सिस्टम भी ठीक से काम नहीं करता, जिससे आग लगने की संभावना बढ़ जाती है।
- प्रशासनिक समस्याएं : बढ़ते दबाव के कारण अस्पतालों में प्रशासनिक स्तर पर भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिससे मरीजों की देखभाल और उपकरणों की निगरानी सही तरीके से नहीं हो पाती।
क्या किया जा सकता है?
- इंटेंसिव केयर की सुविधाओं का विस्तार: खासकर छोटे और दूर-दराज इलाकों में इंटेंसिव केयर यूनिट की सुविधाओं को बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि जिला अस्पतालों पर दबाव कम हो सके।
- मशीनों की नियमित मेंटेनेंस: अस्पतालों में उपयोग की जाने वाली मशीनों की नियमित जांच और मेंटेनेंस की जानी चाहिए ताकि उनकी कार्यक्षमता बनी रहे और ओवरहीटिंग जैसी समस्याओं से बचा जा सके।
- फायर सेफ्टी उपकरणों का इस्तेमाल: अस्पतालों में फायर सेफ्टी उपकरणों को अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए और उनकी स्थिति की नियमित जांच होनी चाहिए।
- समान्य लोड से अधिक मशीनों का प्रयोग न करें: अस्पतालों में अधिक लोड डालने से बचने के लिए कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मशीनें अपनी निर्धारित क्षमता के भीतर काम कर रही हैं।
- वायरिंग और उपकरणों की नियमित जांच: अस्पतालों में नियमित रूप से वायरिंग और उपकरणों की जांच होनी चाहिए। खासकर उन क्षेत्रों में जहां शॉर्ट सर्किट का खतरा अधिक होता है, जैसे कि एनआईसीयू।
- अत्यधिक लोड से बचें: अस्पतालों में मशीनों का लोड सीमा से अधिक न हो। इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मशीनों के ओवर लोड होने पर उनकी क्षमता से अधिक काम करने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे आग लग सकती है।
- फायर सेफ्टी और इमरजेंसी प्लान: हर अस्पताल में फायर सेफ्टी उपकरणों की उपलब्धता होनी चाहिए, जैसे फायर एक्सटिंग्विशर, स्प्रिंकलर सिस्टम और फायर अलार्म। इसके अलावा, अस्पतालों में इमरजेंसी प्लान तैयार करना चाहिए ताकि आग लगने की स्थिति में त्वरित राहत कार्य किया जा सके।
- ऑक्सीजन पाइपलाइन की निगरानी: अस्पतालों में पाइपलाइन सिस्टम की समय-समय पर जांच की जानी चाहिए, ताकि किसी भी लीकेज की स्थिति से बचा जा सके।
अस्पतालों में आग लगने की प्रमुख घटनाएं
मई 2024 : दिल्ली में विवेक विहार स्थित बेबी केयर अस्पताल में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने से सात नवजातों की मौत हुई।
नवंबर 2021: मध्य प्रदेश के भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग में आग लगने से चार बच्चों की जान गई।
जनवरी 2021: महाराष्ट्र के भंडारा जिले के अस्पताल के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई।