
ग्रेटर नोएडा में किसान महापंचायत, प्राधिकरण की चुनौतियां बढ़ीं
नोएडा [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 25 नवंबर 2024 को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित महापंचायत ने एक बार फिर से किसानों के संघर्ष को उभारा है। महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, किसान नेता हन्नान मौला समेत कई अन्य प्रमुख किसान नेता भी शामिल हुए। इस महापंचायत का उद्देश्य भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार पर दबाव बनाना था।
महापंचायत का उद्देश्य और किसानों की मुख्य मांगें
किसान नेताओं ने महापंचायत के दौरान पांच प्रमुख मांगों को सामने रखा, जिन्हें तत्काल लागू करने की मांग की गई। इन मांगों में भूमि अधिग्रहण से संबंधित महत्वपूर्ण सुधार, मुआवजे में वृद्धि और रोजगार के अवसरों को लेकर खासतौर पर चर्चा की गई।
- पुराने भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार
किसान नेताओं ने इस बार की महापंचायत में यह मांग की कि पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10 प्रतिशत भूखंड और 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए। इससे किसानों को अपनी ज़मीन का उचित मुआवजा मिलेगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। - नए भूमि अधिग्रहण पर बाजार दर से मुआवजा
किसान नेताओं ने 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि के लिए बाजार दर से चार गुना मुआवजा और 20 प्रतिशत भूखंड दिए जाने की मांग की। यह कदम किसानों को सही मूल्य देने के लिए उठाया गया है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित न हो। - भूमिहीन किसानों के लिए रोजगार और पुनर्वास
भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास का लाभ देने की मांग की गई। यह कदम भूमि से वंचित किसानों के जीवन को सुधारने और उन्हें नई दिशा देने के लिए आवश्यक है। - हाई पावर कमेटी के फैसलों का पालन
किसानों ने यह भी कहा कि हाई पावर कमेटी द्वारा पारित मुद्दों पर शासनादेश जारी किए जाएं, ताकि उनकी समस्याओं का सही समाधान हो सके। - आबादी क्षेत्र का समुचित निस्तारण
किसान नेताओं ने कहा कि आबादी क्षेत्र का सही निस्तारण किया जाए, ताकि विकास कार्यों में किसानों की भूमि का अनावश्यक अधिग्रहण न हो। इससे किसानों को अपने संसाधनों का सही उपयोग करने का मौका मिलेगा।
किसानों का आंदोलन: अगले चरण की तैयारी
किसान नेताओं का कहना है कि यह महापंचायत अब निर्णायक दौर में प्रवेश कर चुकी है और किसानों का आंदोलन अब और भी तेज़ी से आगे बढ़ेगा। महापंचायत के बाद 27 नवंबर से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर महापड़ाव शुरू किया जाएगा, जो 1 दिसंबर तक चलेगा। इसके बाद 2 दिसंबर को दिल्ली कूच का ऐलान किया गया है, जो संसद सत्र के दौरान होगा।
किसान नेताओं ने कहा कि यह लड़ाई अब आर-पार की होगी और वे सरकार से अपनी सभी मांगों को लागू करने का दबाव बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि महापंचायत में 3000 किसानों को शामिल होने की अनुमति थी, लेकिन इस संख्या से कहीं अधिक किसानों की भीड़ पहुंची, जो आंदोलन को और भी मजबूत बनाने का संकेत है।
महापंचायत में सुरक्षा व्यवस्था
महापंचायत के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी। पुलिस ने भारी संख्या में जवानों को तैनात किया और महापंचायत की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की। किसान नेताओं ने इस पर विरोध जताते हुए कहा कि यह एक प्रकार से किसानों की आवाज को दबाने की कोशिश है।
दिल्ली कूच: किसान नेताओं का निर्णायक कदम
2 दिसंबर को किसान नेताओं का दिल्ली कूच आंदोलन का अंतिम चरण होगा। इस दिन किसानों का बड़ा विरोध प्रदर्शन दिल्ली की सड़कों पर होगा, जिसका उद्देश्य संसद में उनकी मांगों को लेकर एक ठोस निर्णय लिया जाए।
किसान आंदोलन का असर
किसान आंदोलन का असर केवल ग्रेटर नोएडा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में किसानों के मुद्दों को लेकर एक गंभीर बहस छिड़ चुकी है। इस महापंचायत के बाद, किसानों के आंदोलन ने फिर से सरकार की नीतियों को चुनौती दी है और उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर आयोजित महापंचायत ने किसानों के मुद्दों को फिर से प्रमुखता से सामने लाया है। किसानों की पांच प्रमुख मांगें, जिनमें भूमि अधिग्रहण मुआवजा, रोजगार और पुनर्वास, और सरकारी फैसलों की पारदर्शिता शामिल हैं, अब एक बड़े आंदोलन का हिस्सा बन चुकी हैं। 2 दिसंबर को दिल्ली कूच के साथ यह आंदोलन एक नया मोड़ ले सकता है, और इस बार किसानों का संघर्ष निश्चित रूप से एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है।