
फाइल फोटो।
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। हर वर्ष दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर इंद्र देव के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा करने की याद में मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा कब मनाई जाएगी, इसको लेकर लोगों में उत्सुकता है। आइए जानते हैं सही तिथि और इस दिन के विशेष नियम।
गोवर्धन पूजा 2024: सही तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गोवर्धन पूजा का पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:34 बजे से लेकर 8:52 बजे तक रहेगा। इस दिन भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं, गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं और घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाते हैं। इसके बाद भगवान को अन्नकूट के रूप में भोग अर्पित करते हैं, जिसमें अनेकों प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह पूजा कृषि, पशुधन और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन इंद्र देव को यह सिखाया था कि अपनी शक्तियों पर घमंड नहीं करना चाहिए। गोवर्धन पूजा के माध्यम से श्रीकृष्ण का संदेश है कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और उसे आदर देना चाहिए। अलबत्ता गोवर्धन पूजा के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या न करें?
- मांस और मदिरा का सेवन : गोवर्धन पूजा के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है।
- अभद्र भाषा का प्रयोग: पूजा के दिन अशिष्ट या कठोर शब्दों से बचना चाहिए।
- झूठ और छल से बचें : भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन सत्य और धर्म की रक्षा का संदेश दिया था, इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन झूठ बोलने और किसी को धोखा देने से बचना चाहिए।
- लड़ाई-झगड़ा न करें : इस दिन परिवार और समाज में प्रेमपूर्ण वातावरण बनाएं और किसी भी प्रकार का मनमुटाव न रखें।
गोवर्धन पूजा की परंपरा और अनुष्ठान
गोवर्धन पूजा के दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। इसके बाद अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियां, मिठाइयां और अन्य पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन विशेषकर दही, मक्खन और मिष्ठान्न का भोग लगाने की परंपरा है। गोवर्धन पूजा से जुड़ी परंपराएं हमें प्रकृति और पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों का एहसास कराती हैं।
इस प्रकार गोवर्धन पूजा का दिन न केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का संदेश भी देता है।