
गंगा एक्सप्रेस की फाइल फोटो।
लखनऊ[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क] मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार राज्य की छवि को ‘एक्सप्रेस प्रदेश’ के रूप में स्थापित करने में जुटी है। प्रदेश में कुल 13 एक्सप्रेस-वे हैं, जिनमें से छह चालू हैं और सात निर्माणाधीन हैं। इन एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 3,200 किलोमीटर है, जिसमें ‘गंगा एक्सप्रेस-वे’ एक महत्वपूर्ण परियोजना है।
गंगा एक्सप्रेस-वे की लंबाई 594 किलोमीटर है, जो मेरठ से प्रयागराज तक विस्तारित होगा। यह एक्सप्रेस-वे 12 जिलों के 518 गांवों से होकर गुजरेगा और इसे छह लेन में बनाया जा रहा है। भविष्य में जरूरत पड़ने पर इसे आठ लेन का भी किया जा सकता है। गंगा एक्सप्रेस-वे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा की जा सकेगी, जिससे मेरठ से प्रयागराज की दूरी मात्र छह घंटे में तय की जा सकेगी।
पहला चरण पूरा होने के बाद, गंगा एक्सप्रेस-वे के जरिए मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
दूसरे चरण में, यह एक्सप्रेस-वे मिर्जापुर होते हुए बिहार की सीमा पर स्थित बलिया तक बढ़ाया जाएगा। इस चरण में मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी और गाजीपुर भी शामिल होंगे। दोनों चरणों को मिलाकर गंगा एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई करीब 950 किलोमीटर हो जाएगी, जिससे यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे बनेगा।
इस प्रोजेक्ट से रोजगार के अवसर और विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी, जिससे प्रदेश की जीडीपी में भी इजाफा होगा। विशेष बात यह है कि बलिया के रास्ते बिहार के लोग भी आसानी से राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ सकेंगे।
गंगा एक्सप्रेस-वे का कुल निर्माण बजट 56,000 करोड़ रुपये है, जिसमें पहले चरण की लागत 37,350 करोड़ रुपये और भूमि अधिग्रहण की लागत 9,500 करोड़ रुपये शामिल है। इसे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
हालांकि, सरकार का लक्ष्य कुंभ से पहले दिसंबर 2024 तक निर्माण पूरा करने का था, लेकिन बारिश के कारण इसमें देरी हो सकती है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के साथ उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा को एक नई दिशा मिल रही है।