
सीएम योगी आदित्यनाथ्ज्ञ और डिप्टी सीएम शव मौर्य।
नई दिल्ली [TV 47 न्यूजनेटवर्क ]। Yogi Adityanath vs Keshav Prasad Maurya: लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत गरम हो गई है। यह माना जा रहा है कि भाजपा लोकसभा में बहुमत के 272 के आंकड़े से जितनी पीछे रही है, वह अकेले उत्तर प्रदेश से पूरा हो सकता था। हालांकि, यूपी में भाजपा को उम्मीद से काफी कम सीटें मिली है। अदंरखाने यह खबर है कि अब इसका ठीकरा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सिर फोड़ा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की यह भविष्यवाणी सत्य साबित होगी कि लोकसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। आखिर योगी को लेकर केजरीवाल ने क्या कहा था। क्या योगी आदित्यनाथ भाजपा में अकेले पड़ गए हैं। योगी को हटाना भाजपा के कितना हित में होगा। आदि तमाम सवालों का जवाब खोजती रमेश मिश्र की ये रिपोर्ट।
क्या कहा था केजरीवाल ने …..
इंडिया गठबंधन के पक्ष में मतदान की अपील करने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने का दावा किया था। केजरीवाल और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक साझा प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने तय कर लिया है कि अमित शाह को अपना वारिस बनाएंगे और वह दो-तीन साल से इसमें लगे हुए हैं। इसमें जो भी नेता बाधा बन सकता था उन्हें एक-एक कर हटा दिया गया है जैसा कि शिवराज सिंह और वसुंधरा राजे। अब केवल एक ही व्यक्ति बचा है जो इस राह में कांटा बन सकता है और वो योगी आदित्यनाथ हैं। केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी योगी को हटाने का मन बना लिया है और यदि चुनाव जीतते हैं तो उन्हें कुछ ही महीनों में हटा दिया जाएगा।
इसमें संदेह नहीं कि लोकसभा चुनाव के नतीजे ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय नेतृत्व को उत्तर प्रदेश से काफी उम्मीदें थी। अगर देखा जाए तो मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को उत्तर प्रदेश से काफी अच्छे परिणाम की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यही वजह है कि तब से लेकर अब तक यूपी के भाजपा को लेकर चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रही। इसके केंद्र में सीएम योगी हैं। उधर, संगठन और पार्टी के अदंर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बनाम योगी की चर्चा गर्म है। ऐसे में लोग यह कहने लगे हैं कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की वो भविष्यवाणी सच साबित हो सकती है, जो उन्होंने जेल से बाहर आकर की थी।
राजनीति अनिश्चिताओं का खेल हैं। इस खेल में कुछ भी संभव है। इसलिए यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि योगी को अपनी कुर्सी खाली करनी पड़ सकती है या नहीं। फिलहाल तो अटकलों का बाजार गरम है। अभी तक केंद्रीय नेतृत्व या संघ द्वारा इस तरह की कोई पहल या संदेश नहीं सामने आया। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व के लिए योगी को हटाना इतना असान नहीं होगा। भाजपा नेतृत्व जानता है कि यूपी में योगी को छेड़ना खतरे से खाली नहीं है। जानकार कहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व की छोटी सी चूक एक बड़े राजनीतिक संकट का सबब बन सकती है। इसलिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के लिए यह काम आसान नहीं होगा, जब तक योगी खुद इस तरह का फैसला नहीं लेते।
उत्तर प्रदेश में जिस तरह से डबल इंजन की सरकार फेल हुई उसके कई निहितार्थ निकल रहे हैं। ये सवाल तब और अहम हो जाता है जब अन्य राज्यों में डबल इंजन की सरकार ने लोकसभा चुनाव में अच्छे परिणाम दिए हैं। मध्य प्रदेश में तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को इसका पुरस्कार भी मिल चुका है। वह मोदी टीम का हिस्सा हैं।
जानकारों का कहना है कि इसमें कोई संशय नहीं कि यूपी में बुलडोजर बाबा कहीं न कहीं फेल हुए हैं। हालांकि, योगी इस बात का मंथन जरूर कर रहे होंगे कि हार की वजह का पता लगाकर जल्द ही उसे दुरुस्त किया जाए। भाजपा में राजनीतिक फैसलों की भनक बहुत पहले से ज्ञात नहीं होता, इसलिए यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। अलबत्ता उत्तर प्रदेश में सरकार के अंदर जिस तरह से कलह जमीन पर आ गया है और केंद्रीय नेतृत्व इस पर मौन है। इससे यह तो कहा जा सकता है कि अदंरखाने कुछ न कुछ जरूर पक रहा है।