
अब तक के प्रमुख चुनावी नारे
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। भारत में चुनावी नारे हमेशा से राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के लिए जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने का अहम जरिया रहे हैं। इन नारों के जरिए पार्टियां अपनी विचारधारा और एजेंडा प्रस्तुत करती आई हैं, जिससे आम जनता के दिलों में अपनी जगह बनाई जा सके। आइए,जानते हैं भारतीय राजनीति में अब तक के प्रमुख चुनावी नारों के बारे में, जो अपने समय में जनता के दिलों में गहराई से उतरे और उनका समर्थन जुटाने में सहायक बने।
‘राम राज्य’ : महात्मा गांधी
महात्मा गांधी का नारा ‘राम राज्य’ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काफी लोकप्रिय हुआ। गांधीजी के राम राज्य का अर्थ धार्मिक राज्य से नहीं बल्कि एक आदर्श समाज से था जिसमें समानता, न्याय और सादगी के मूल्यों का पालन हो। इस नारे ने स्वराज और सामाजिक समानता की दिशा में प्रेरणा दी।
‘जय जवान, जय किसान’: लाल बहादुर शास्त्री (1965)
1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, जो देश की सुरक्षा और कृषि क्षेत्र की महत्वता को उजागर करता है। यह नारा भारतीय सशस्त्र बलों और किसानों को समान रूप से सम्मान देने का प्रतीक बन गया और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को भी प्रेरित किया।
‘गरीबी हटाओ’: इंदिरा गांधी (1971)
1971 के चुनावों में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया, जो भारतीय राजनीति का सबसे लोकप्रिय और प्रभावी नारा माना जाता है। इस नारे के जरिए इंदिरा गांधी ने देश की गरीब जनता को आकर्षित किया और इसे उनके समर्थन में बदल दिया। इस नारे ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को भारी जीत दिलाई और भारत में सामाजिक और आर्थिक समानता का मुद्दा उठाया।
‘हर हाथ को काम, हर खेत को पानी’: राजीव गांधी (1984)
राजीव गांधी के इस नारे ने देश में रोजगार और सिंचाई की समस्याओं को उजागर किया। उनके शासनकाल में इस नारे के जरिए ग्रामीण विकास और किसानों की स्थिति को सुधारने के प्रयास किए गए। इस नारे ने ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस के समर्थन को बढ़ावा दिया।
‘अच्छे दिन आएंगे’: भारतीय जनता पार्टी (2014)
2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने ‘अच्छे दिन आएंगे’ का नारा दिया, जो हर वर्ग के लोगों में एक नई उम्मीद लेकर आया। यह नारा भारत की प्रगति, भ्रष्टाचार से मुक्ति और विकास की ओर प्रेरित करता है। इस नारे के जरिए भाजपा ने मतदाताओं का दिल जीता और भारी जनादेश प्राप्त किया।
‘सबका साथ, सबका विकास’: नरेंद्र मोदी (2014)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह नारा भारतीय समाज के सभी वर्गों को एकसाथ लेकर विकास की राह पर ले जाने का वादा करता है। इस नारे ने भारतीय राजनीति में एकता और समृद्धि की भावना को बढ़ावा दिया और भाजपा की विकासवादी छवि को मजबूत किया।
‘अबकी बार, मोदी सरकार’: भाजपा (2019)
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 और 2019 के चुनावों में ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ नारे का प्रयोग किया, जिसने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को केंद्र में रखकर लोगों का समर्थन जुटाया। इस नारे के जरिए भाजपा ने मतदाताओं में विश्वास और स्थिरता का संदेश दिया, जो भाजपा को दोनों चुनावों में बड़ी जीत दिलाने में सहायक बना।
भारतीय राजनीति में नारों का प्रभाव और महत्व
भारतीय राजनीति में चुनावी नारों का महत्व बहुत गहरा है। ये नारे पार्टियों की विचारधारा और उनके एजेंडा को प्रभावशाली तरीके से जनता तक पहुंचाने का माध्यम बनते हैं। चुनावी नारे मतदाताओं के मन में एक स्थायी छवि बना सकते हैं और उन्हें किसी विशेष पार्टी या नेता की ओर आकर्षित कर सकते हैं।
भारतीय राजनीति में ‘गरीबी हटाओ’ से लेकर ‘अच्छे दिन आएंगे’ जैसे नारे विभिन्न समयों में जनमत को प्रभावित करने में सफल रहे हैं। ये नारे राजनीतिक दलों को मतदाताओं से जोड़ने और उन्हें प्रभावित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो आज भी चुनावों में प्रभावी साबित हो रहे हैं।