
नई दिल्ली [ TV 47 न्यूजनेटवर्क ]। भारत जी 7 का सदस्य देश नहीं है, इसके बावजूद इस संगठन में उसकी एक अहम भूमिका है। इन दिनों यह सवाल चर्चा का विषय है। ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजमी है कि आखिर वो कौन से कारण है, जिसके चलते भारत को दुनिया में इतनी अहमियत मिलती है। चलिए जानते हैं कि G7 की वैश्विक राजनीति में भारत की क्या भूमिका है। इसके अलावा यह भारत के लिए इतना अहम क्यों है। आखिर भारत के प्रति दुनिया के प्रमुख देशों का क्या नजरिया है। इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है भारत
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश भी भारत है। भारत में राजनीतिक स्थिरता की वजह से यह G7 सदस्य देशों के लिए खासी अहमियत रखता है। इसके अलावा भारत को वैश्विक राजनीति में नई पहचान मिली है।
कोरोना महामारी के बाद भारत की स्थिति में बदलाव
विशेषज्ञों की राय है कि विगत 10 वर्षों में दुनिया में भारत का कद बढ़ा है। अब पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। प्रो हर्ष वी पंत (किंग्स कालेज लंदन में रक्षा अध्ययन विभाग और भारत संस्थान में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर) का कहना है कि खासकर कोरोना महामारी के बाद भारत की इस स्थिति में और मजबूती आई है। कोरोना काल में भारत की भूमिका को दुनिया ने सराहा है। इसके बाद भारत के प्रति लोंगों के नजरिए में बदलाव देखने को मिला है। हालांकि, उनका कहना है कि इसके अन्य कारण भी है।
2.66 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था
एक दशक में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे की ओर अग्रसर हुई है। मौजूदा समय में भारत की अर्थव्यवस्था करीब 2.66 ट्रिलियन की है। अगर देखा जाए तो यह जी 7 के कई देशों से ज्यादा है। खासकर इटली, फ्रांस और कनाडा की अर्थव्यवस्था भारत से काफी पीछे है। उनका कहना है भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ मुद्रा कोष भी कर चुका है। इसके अलावा भारत बाजार के लिहाज से भी पूरी दुनिया के लिए एक पंसदीदा स्थल है।
निवेश के लिहाज से भी भारत दुनिया के लिए उपयोगी
उनका कहना है कि निवेश के लिहाज से भी भारत दुनिया को अपनी ओर खींच रहा है। विकसित मुल्कों को भारत का सस्ता श्रम अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां की बड़ी आबादी युवा है। पंत का कहना है कि जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। चीन के विपरीत भारत की आबादी की खास बात यह है कि यह युवाओं का देश है।
रणनीतिक लिहाज से काफी उपयोगी है भारत
उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रशांत और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दखल ने भारत को रणनीतिक लिहाज से काफी उपयोगी बना दिया है। चीन को नियंत्रित करने के लिए भारत, पश्चिमी देश और अमेरिका की एक बड़ी जरूरत बन चुका है। इसको अमेरिका अच्छी तरह से जानता है। यही कारण है कि विगत दस वर्षों में भारत के प्रति उसके वैदेशिक नीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। अमेरिका में किसी की भी सरकार हो वह भारत को साधने का ही यत्न करता है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था और उसके मूल्यों पर भारत की निष्ठा
इसके अलावा भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और उसके मूल्यों पर निष्ठा और पश्चिमी देशों को आकर्षित करता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। विगत एक दशक में भारत में एक स्थायी और स्थिर सरकार रही है। इसने काफी अहम फैसले लिए है। राजनीतिक स्थिरता के कारण मोदी सरकार कई अहम फैसलों को ले सकी है। इन सब का भी एक मिलाजुला असर विदेश नीति पर पड़ा है।
क्या है जी 7
G7 दुनिया के सात सबसे ताकतवर और औद्योगिक लिहाज से सबसे समृद्ध देशों का संगठन है। यह संगठन कई तरह से दुनिया को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। G7 नेटो, EU या UN की तरह कोई आधिकारिक संगठन नहीं है लेकिन इसने कई वैश्विक समस्याओं को हल करने में अहम भूमिका निभाई है। आज G7 की चर्चा इसलिए अहम है क्योंकि 13 जून से इटली के अपुलिया में G7 की सालाना बैठक शुरू हो रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 50वीं G7 बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। भारत G7 का सदस्य नहीं है लेकिन Outreach Country के तौर पर इस बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रण मिला है।
इस वजह से अहम है G7
अर्थव्यवस्था की नजर से दुनिया के नौ सबसे बड़े देशों में से सात G7 में हैं। G7 के सातों देशों की अर्थव्यवस्था 45 ट्रिलियन डालर है। दुनिया की जीडीपी में इन सात देशों की हिस्सेदारी 43 फीसद है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में दुनिया के 15 टाप के देशों में से सात G7 के सदस्य हैं। G7 देश दुनिया के 10 सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल हैं। इसके अलावा, G7 के सदस्य देश यूनाइटेड नेशंस को डोनेशन देने वाले टाप 10 देशों की लिस्ट में भी हैं।
जापान, फ्रांस, इटली, जर्मनी, ब्रिटेन अमेरिका और कनाडा। इन देशों की कुल आबादी दुनिया की 10 फीसदी। कुल जीडीपी दुनिया का 40 प्रतिशत। यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में स्थायी सदस्य हैं अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन। इतना सब कुछ होने के बाद भी इस संगठन के लिए भारत बेहद अहम देश है। इसके उलट भारत के लिए भी G7 संगठन खासा मायने रखता है।
इस बार किन मुद्दों पर चर्चा?
G7 सम्मेलन में इस बार भारत के अलावा यूक्रेन, ब्राजील, अर्जेंटीना, तुर्किए, संयुक्त अरब अमीरात, कीनिया, अल्जीरिया, ट्यूनीजिया और मॉरीतानिया के राष्ट्राध्यक्षों को भी न्यौता दिया गया है। Outreach देशों के साथ 14 जून को बैठक होनी है। G7 की 50वीं समिट में 13 जून को जलवायु परिवर्तन, मध्य-पूर्व और इजराइल-गाजा के बीच हो रहे संघर्ष पर चर्चा होगी। यूक्रेन के राष्ट्रपति भी यूक्रेन-रूस युद्ध से संबंधित दो सेशंस में भाग लेंगे। वहीं, 14 जून को AI (Artificial Intelligence), माइग्रेशन और ऊर्जा पर बात होगी। इसके बाद 15 जून को इटली की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेस की जाएगी।
G7 में भारत का एजेंडा
G7 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ बातचीत करने वाले हैं। इसके अलावा वो कई दूसरे देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। G7 के आउटरीच सेशन में पीएम मोदी अल्जीरिया, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ चर्चा करेंगे, इस दौरान रक्षा, ऊर्जा और भविष्य में होने वाले सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।
पीएम मोदी कब-कब हुए शामिल
फ्रांस में अगस्त 2019 में पीएम मोदी G7 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे। इसके बाद जून 2021 में ब्रिटेन में G7 सम्मेलन का आयोजन हुआ, कोरोना की वजह से पीएम मोदी इसमें वर्चुअली शामिल हुए। इसके बाद जून 2022 में जर्मनी और मई 2023 में जापान में हुए G7 सम्मेलन में भी पीएम मोदी हिस्सा लेने पहुंचे। अब एक बार फिर इटली में पीएम मोदीG7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।