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लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। भारत में डिजिटल हेल्थ कार्ड के आने से मेडिकल इतिहास, इलाज और स्वास्थ्य संबंधित जानकारी डिजिटली सहेजी जा सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्ड की शुरुआत करते हुए इसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव बताया। यह कार्ड सभी नागरिकों को एक यूनीक हेल्थ आईडी के माध्यम से मिलेगा, जो आधार कार्ड की तरह एक पहचान संख्या होगी। इसमें आपकी मेडिकल हिस्ट्री, उपचार, और स्वास्थ्य योजना की जानकारी सुरक्षित रहेगी, जो भविष्य में इलाज को सुगम बनाएगी।
डिजिटल हेल्थ कार्ड क्या है?
डिजिटल हेल्थ कार्ड एक 14 अंकों की यूनीक पहचान संख्या के रूप में जारी किया जाएगा। इस कार्ड के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की मेडिकल जानकारी एक क्लिक में उपलब्ध होगी। आधार कार्ड या मोबाइल नंबर का उपयोग करके इसे आसानी से जनरेट किया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति को ndhm.gov.in पर जाकर “हेल्थ आईडी” शीर्षक के तहत पंजीकरण कराना होगा। एक बार पंजीकरण हो जाने पर हेल्थ कार्ड में सभी जरूरी स्वास्थ्य जानकारी स्टोर की जा सकेगी।
कैसे बनेगा कार्ड
- ये आधार कार्ड या मोबाइल नंबर के ज़रिए बनाया जा सकता है।
- हेल्थ कार्ड बनाने के लिए ndhm.gov.in वेबसाइट पर जाना होगा।
- वहां पर “हेल्थ आईडी” नाम से एक शीर्षक दिखेगा।
- यहां आप इस सुविधा के बारे में और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और ‘क्रिएट हेल्थ आईडी’ विकल्प पर क्लिक कर कार्ड बनाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
- अगले वेबपेज पर आपको आधार के ज़रिए या मोबाइल फोन से हेल्थ कार्ड जनरेट करने का विकल्प मिलेगा. आधार नंबर या फोन नंबर डालने पर एक ओटीपी प्राप्त होगा।
- ओटीपी भरकर आपको इसे वेरिफाई करना होगा।
- आपके सामने एक फॉर्म खुलेगा जिसमें आपको अपने प्रोफाइल के लिए एक फोटो, जन्म तिथि और पता समेत कुछ और जानकारियां देनी होंगी।
- सारी जानकारियां भरते ही एक हेल्थ आर्डी कार्ड बनकर आ जाएगा जिसमें आपसे जुड़ी जानकारियां, फोटो और एक क्यूआर कोड होगा।
- अक्षम लोग सरकारी अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में या नेशनल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर रजिस्ट्री से जुड़े ऐसे हेल्थकेयर प्रोवाइडर से अपना हेल्थ कार्ड बनवा सकते हैं।
डिजिटल हेल्थ कार्ड के फायदे
- आसान एक्सेस: कहीं भी इलाज कराने पर डॉक्टर इस कार्ड के माध्यम से व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री देख सकेंगे।
- समय और धन की बचत: पिछले टेस्ट की रिपोर्ट उपलब्ध होने से दोबारा टेस्ट कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- ऑनलाइन सुरक्षित डेटा: हेल्थ कार्ड में मेडिकल जानकारी डिजिटली सुरक्षित रहेगी, जिससे कागज़ी दस्तावेज़ खोने का डर खत्म होगा।
- आसान इलाज प्रक्रिया: इलाज की प्रक्रिया सरल और तेज होगी, जिससे मरीज का समय और ऊर्जा बचेगी।
डेटा सुरक्षा और गोपनीयता पर चिंताएं
डिजिटल हेल्थ कार्ड का डेटा ऑनलाइन स्टोर किया जाएगा। इसलिए इसकी सुरक्षा का सवाल उठता है। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, डेटा के सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सरकार पर होगी। इससे यूजर्स को सर्वर की साइबर सुरक्षा पर निर्भर रहना पड़ेगा। इसके अलावा आधार डेटा पर हैकिंग के मामले सामने आने के कारण इस डिजिटल सिस्टम पर भरोसा करने से पहले सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी।