
प्रकृतिवेदा वैलनेस सेंटर में धन्वंतरि जयंती पर ’आरोग्य उत्सव’ का आयोजन।
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। धन्वंतरि जयंती के शुभ अवसर पर प्रयागराज स्थित एनएसआईसी परिसर, उद्योग नगर, नैनी में प्रकृतिवेदा वैलनेस सेंटर द्वारा ‘आरोग्य उत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आयुर्वेदिक उपचार, यज्ञ, हवन, भजन, और सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें प्रमुख अतिथि पूजा पाल (विधायक, चायल कौशांबी) और अन्य गणमान्य अतिथियों ने उपस्थित रहकर इस आयोजन की गरिमा को बढ़ाया।
आरोग्य उत्सव में विशिष्ट अतिथियों के विचार
आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पूजा पाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से जूझ रहा है। आयुर्वेद ही एक ऐसा माध्यम है, जिसमें उपचार के दौरान व्यक्ति किसी और समस्या का शिकार नहीं होता।
डॉ. श्लेष गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद में वह सामर्थ्य है जो मनुष्य को स्वस्थ रखने में सक्षम है और रोगी होने की स्थिति में उसे ठीक कर सकता है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वी के मिश्रा ने धनतेरस के महत्व को समझाते हुए कहा कि यह सिर्फ बर्तन खरीदने का पर्व नहीं है, बल्कि भगवान धन्वंतरि की पूजा और स्वस्थ जीवन की दिशा में अग्रसर होने का पर्व है।
प्रकृतिवेदा वैलनेस सेंटर का योगदान
प्रकृतिवेदा वैलनेस सेंटर के संस्थापक डॉ. पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र में देश-विदेश से लोग आकर आयुर्वेदिक उपचार करा रहे हैं। इस केंद्र में लोग यज्ञ और हवन के माध्यम से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक आरोग्य भी प्राप्त कर रहे हैं। डॉ. सिंह ने इस बात पर बल दिया कि प्रयाग की पवित्र धरती पर हवन करने से विशेष लाभ मिलते हैं, जो आरोग्य प्राप्त करने के साथ-साथ निरोगी जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों के विशेष अतिथियों का सम्मान
आरोग्य उत्सव में विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट सेवा देने वाले कई महानुभावों को सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. हितेश मनकेले, डॉ. गीता रानी, डॉ. सूरज मिश्रा (अयोध्या), योगी विक्रांत, शालिनी सिंह, सृष्टि मालवीय, आलोक मालवीय और अरविंद सिंह प्रमुख रहे। इन सभी ने स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया है।
कार्यक्रम का उद्देश्य
धन्वंतरि जयंती पर आयोजित ’आरोग्य उत्सव’ का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाना और लोगों को इसके महत्व के प्रति जागरूक करना था। यज्ञ, हवन और आयुर्वेदिक चिकित्सा से लाभान्वित होने का संदेश दिया गया ताकि सभी निरोगी जीवन का आनंद ले सकें।
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