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प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। धनतेरस, दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व है। यह त्योहार स्वास्थ्य, संपत्ति और समृद्धि के देवता भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा से सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस का नाम “धन” और “तेरस” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है धन की तेरहवीं तिथि। इस दिन नए बर्तन, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक सामान या गहनों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इसे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
धनतेरस की पूजा विधि
- सफाई और सजावट: घर को अच्छे से साफ करके सजाएं, क्योंकि मां लक्ष्मी स्वच्छ और सुंदर जगह पर वास करती हैं।
- धन्वंतरि पूजन: इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा कर स्वास्थ्य और आयु की कामना की जाती है।
- मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा: शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाएं और लक्ष्मी-गणेश और कुबेर की मूर्ति स्थापित कर पूजन करें।
- दीप जलाना: धनतेरस की रात यमराज के नाम का दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाना अनिवार्य है। इसे यमदीप दान कहा जाता है और इससे अनिष्ट दूर होते हैं।
- शुभ मुहूर्त में खरीदी: इस दिन बर्तन या आभूषण खरीदना विशेष लाभकारी माना गया है। खरीदी से पहले उसकी पूजा कर धन की कामना करें।
धनतेरस पर क्या न खरीदें
धनतेरस पर कांच और लोहे की वस्तुएं खरीदने से बचना चाहिए। धार्मिक दृष्टि से इसे अशुभ माना जाता है।
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