
फाइल फोटो।
नोएडा [ TV 47 न्यूज नेटवर्क] । उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शासनकाल के दौरान हुए करीब 1400 करोड़ रुपये के कथित स्मारक घोटाले की जांच अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। इस घोटाले में कई प्रमुख नाम शामिल हो रहे हैं, और अब रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के बयान के बाद पूर्व नोएडा अथॉरिटी चेयरमैन रमा रमण का नाम भी चर्चा में आ गया है।
मोहिंदर सिंह का बयान और रमा रमण की भूमिका
मोहिंदर सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए गए बयान में कहा है कि वह 2010 में नोएडा अथॉरिटी के सीईओ पद से हट गए थे, और प्रॉजेक्ट से जुड़ी कई औपचारिकताएं उनके बाद तैनात अधिकारियों के कार्यकाल में पूरी की गईं। इस बयान के बाद रमा रमण के कार्यकाल पर सवाल उठने लगे हैं। रमा रमण के खिलाफ पहले से ही विवादित जमीन आवंटन और बिल्डरों को गलत तरीके से भूमि देने के आरोप लगे थे।
नोएडा के निवासी जितेंद्र कुमार गोयल की याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जुलाई 2016 में रमा रमण की शक्तियां जब्त कर ली थीं। अदालत ने उन्हें किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, जिससे उनके कार्यकाल की जांच की मांग और मजबूत हो गई। अब मोहिंदर सिंह के बयान के बाद उनके कार्यकाल में हुए भूमि आवंटन और अन्य फैसलों की गहन जांच की जाएगी।
स्मारक घोटाले की जांच में तेजी
बसपा सरकार के दौरान लखनऊ और नोएडा में स्मारकों के निर्माण में हुए कथित 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग ने भी अपनी जांच तेज कर दी है। हाल ही में ईडी ने मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें करोड़ों के हीरे, नकदी और कीमती संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। इसके बाद विजिलेंस विभाग ने उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है।
सूत्रों के अनुसार, मोहिंदर सिंह पहले भी विजिलेंस और ईडी के नोटिस पर पेश नहीं हुए थे, और इसी के चलते उन्हें फिर से तलब किया गया है। ईडी ने उन्हें 5 अक्टूबर को बुलाया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए, जिससे जांच एजेंसियों का शक और गहराता जा रहा है।
स्मारक निर्माण में अनियमितताओं के आरोप
मोहिंदर सिंह की भूमिका विशेष रूप से जुलाई 2007 में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में संदिग्ध पाई गई है, जिसमें स्मारक निर्माण के लिए मिर्जापुर के सैंड स्टोन का उपयोग करने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, बाद की एक बैठक में इस फैसले को बदलकर राजस्थान से सैंड स्टोन मंगवाने का निर्णय लिया गया। इस बदलाव के कारण निर्माण की लागत में भारी वृद्धि हुई, जिसे घोटाले का मुख्य कारण माना जा रहा है।
भविष्य की कार्रवाई और जांच
मोहिंदर सिंह और रमा रमण के कार्यकाल की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि बीएसपी शासनकाल के दौरान हुए घोटाले की परतें अब खुलने लगी हैं। विजिलेंस विभाग और ईडी अब इस मामले की तह तक जाने के लिए अपनी कार्रवाई तेज कर रहे हैं। यदि जांच में रमा रमण की संलिप्तता साबित होती है, तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
नोएडा और लखनऊ में स्मारकों के निर्माण में हुए 1400 करोड़ रुपये के घोटाले ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। मोहिंदर सिंह और रमा रमण के कार्यकाल पर उठते सवाल इस घोटाले की गंभीरता को और बढ़ा रहे हैं। आने वाले दिनों में जांच में और खुलासे होने की संभावना है, जिससे यह मामला और भी गरमा सकता है।