
यूपी की छठ पूजा। फाइल फोटो।
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने छठ पर्व के अवसर पर घाटों की सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए एक खास पहल की है। इसके तहत एक स्वच्छ घाट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जो 6 नवंबर से 8 नवंबर 2024 तक चलेगी। आइए जानते हैं, इस प्रतियोगिता का महत्व और इसके मुख्य बिंदु।
बता दें कि छठ पर्व, जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। उत्तर प्रदेश और बिहार में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। इस पवित्र पर्व के दौरान, भक्तजन घाटों पर एकत्र होकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
स्वच्छ घाट प्रतियोगिता का उद्देश्य
इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के विभिन्न घाटों पर स्वच्छता और सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देना है। सरकार ने विशेष तौर पर घाटों को प्लास्टिक मुक्त बनाने का आह्वान किया है और इसे “नो प्लास्टिक जोन” घोषित किया गया है। प्रतियोगिता के दौरान, विभिन्न संगठन घाटों पर स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अलग-अलग गतिविधियों में भाग लेंगे। इस पहल का उद्देश्य घाटों पर एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है, जिससे छठ पर्व के दौरान श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सके।
‘अर्पण कलश’ और ‘नो प्लास्टिक जोन’ पहल
स्वच्छता के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए, घाटों पर ‘अर्पण कलश’ रखे गए हैं, जो भक्तों को स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही, प्लास्टिक और थर्मोकोल के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे घाटों को प्लास्टिक मुक्त वातावरण मिले। इस पहल के तहत नागरिकों को यह संदेश दिया जा रहा है कि स्वच्छता एक सामूहिक जिम्मेदारी है, और इसे बनाए रखने के लिए सभी का योगदान महत्वपूर्ण है।
घाटों की सफाई और सौंदर्यीकरण में भागीदारी
सरकार ने अस्थायी शौचालय और स्नानघरों का निर्माण किया है ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छता की सुविधा मिल सके। इसके साथ ही, घाटों पर कूड़ेदान रखे गए हैं और कूड़े-कचरे के उचित निपटान के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। प्रतियोगिता के दौरान, विभिन्न स्वयंसेवी संगठन, सीएसओ और गैर सरकारी संगठन इस अभियान में भाग ले रहे हैं। इन संगठनों ने न केवल घाटों पर सफाई अभियान चलाया, बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का कार्य किया।
छठ पर्व और इसके महत्व
छठ पर्व बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है, जो सूर्य देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस त्यौहार में भक्तजन उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पर्व के अनुष्ठान में कठोर दिनचर्या का पालन, उपवास, स्नान और जल में खड़े होकर सूर्य देव की उपासना शामिल होती है।