फाइल फोटो।
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। आज यानी 25 अक्टूबर 2025 से पूरे उत्तर भारत में इस पावन पर्व की शुरुआत हो गई है। इस लेख में हम आपको छठ पूजा 2025 का विस्तार से कैलेंडर, तिथियां, पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त, कथा, आरती, और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष व्रत नियम बताएंगे। साथ ही, लाइव अपडेट्स और महत्वपूर्ण सुझाव भी शामिल होंगे ताकि आप इस महापर्व का पूरा आनंद ले सकें।
1. छठ पूजा 2025 का संक्षिप्त विवरण और महत्व
छठ पूजा का महत्व अति प्राचीन है। यह सूर्यदेव की उपासना का त्योहार है, जो जीवन का आधार हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य की उपासना कर जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और ऊर्जा की कामना करना है।
यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में फैले भारतवंशीय समुदायों द्वारा भी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।
छठ का अर्थ:
“छठ” का अर्थ है “चौथा” या “चार”, जो कि इस पर्व के चार दिनों के व्रत और अनुष्ठान का प्रतीक है।
2. छठ पूजा 2025 का कैलेंडर और मुख्य तिथियां
| तिथि | दिन | कार्य |
|---|---|---|
| 25 अक्टूबर 2025 | शनिवार | नहाय-खाय का प्रारंभ, पर्व की शुरुआत |
| 26 अक्टूबर 2025 | रविवार | खरना, व्रत का विशेष महत्व |
| 27 अक्टूबर 2025 | सोमवार | संध्या अर्घ्य, पूजा का अंतिम दिन |
| 28 अक्टूबर 2025 | मंगलवार | उगते सूर्य को अर्घ्य, व्रत का समापन |
3. नहाय-खाय का नियम और विधि
नहाय-खाय का महत्त्व
यह पर्व का पहला दिन है, जिसमें श्रद्धालु स्नान-ध्यान कर शुद्धता का संकल्प लेते हैं। यह व्रत का आधार है। इस दिन का व्रत बहुत ही पावन और शुद्ध माना जाता है।
नहाय-खाय का नियम
- व्रत शुरू करने से पहले स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प लें और घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- नहाय-खाय के दिन हल्का और सात्विक भोजन करें।
- व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान देना चाहिए।
- इस दिन व्रतधारी फलाहार या व्रत का भोजन कर सकते हैं, जिसमें साबुत अनाज, फल, और दूध आदि शामिल हो सकते हैं।
विधि
- सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान पर शुद्धता से पूजा सामग्री सजाएं।
- घर के पूजाघर में गंगाजल या पवित्र जल से स्नान करें।
- व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करें।
- नहाय-खाय के भोजन में साबुत अनाज, फल, दूध, और शुद्ध भोजन का सेवन करें।
- व्रत के दौरान हल्का फलाहार और पानी का सेवन करें।
4. गर्भावस्था में व्रत और नियम
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
गर्भावस्था में शरीर को पर्याप्त पोषण और जल की आवश्यकता होती है। निर्जला व्रत, जिसमें पानी और भोजन दोनों का त्याग किया जाता है, गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है।
सावधानियों के साथ व्रत
- यदि व्रत रखना हो तो फलाहार व्रत करें।
- दिनभर हल्के फल जैसे केला, सेब, मौसमी फल आदि खाएं।
- शरीर में पानी की कमी न हो, इसके लिए नारियल पानी, नींबू पानी, दूध और जूस पीते रहें।
- शरीर में ऊर्जा और पोषण के लिए पौष्टिक फल और हल्का भोजन करें।
- व्रत में पूरी सावधानी से पालन करें और स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
विशेष सुझाव
- गर्भवती महिलाओं को निर्जला व्रत से बचने की सलाह दी जाती है।
- यदि स्वास्थ्य खराब हो तो व्रत न करें और चिकित्सक से सलाह लें।
- व्रत के दौरान आराम और पर्याप्त विश्राम जरूरी है।
5. छठ पूजा की कथा और महत्ता
कथा का संक्षिप्त वर्णन
छठ पूजा की कथा बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि यह व्रत प्राचीन काल से सूर्यदेव की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं, जैसे कि भगवान सूर्य और छठी मैया की कथा।
एक कथा के अनुसार, छठी मैया ने अपने पति के प्राण बचाने के लिए सूर्यदेव से वरदान मांगा था। तभी से यह व्रत प्रचलित हुआ।
महत्व
यह व्रत सूर्य को अर्घ्य देने का पर्व है, जो जीवन ऊर्जा का स्रोत है। यह श्रद्धालुओं को सद्भाव, श्रद्धा और प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है।
6. पूजा सामग्री और शुभ मुहूर्त
आवश्यक सामग्री
- मिट्टी का दीया और दीपक
- गंगाजल या पवित्र जल
- चावल, गेहूं, कद्दू, जौ
- फलों का प्रसाद (आम, केला, सेब)
- श्रृंगार सामग्री (माला, चंदन, फूल)
- लौंग, सुपारी, नारियल
- पूजा थाली, अखंड दीपक
- खील, रोटी, खीर, फल
शुभ मुहूर्त
- नहाय-खाय का शुभ मुहूर्त सुबह सूर्योदय से पहले।
- संध्या अर्घ्य का समय सूर्यास्त से लगभग 30 मिनट पहले।
- उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय प्रातः सूर्योदय के समय।
7. छठ पूजा की आरती और लिरिक्स
मुख्य आरती
“प्रभु सूर्य देव, कृपा करि दीजै आशीष,
सभी मनोकामना पूरी हो, करें सब व्रत विशिष्ट।”
यह आरती सूर्य भगवान की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।
8. लाइव अपडेट्स और कोरोना काल में विशेष सावधानियां
- कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
- मास्क का प्रयोग अनिवार्य है।
- भीड़-भाड़ से बचें और घर पर ही पूजा करें।
- sanitize और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
