
नोएडा प्राधिकरण।
नोएडा,[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने हाल ही में एक गंभीर कदम उठाया जब एक बुजुर्ग दंपति के आवासीय कार्य में विलंब और परेशानी को लेकर अधिकारियों पर कार्रवाई की। इस कदम के तहत, सीईओ लोकेश एम ने आवासीय विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को आधे घंटे तक खड़ा रखा।
यह कदम कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए उठाया गया था। इस घटना ने नोएडा प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में हलचल मचा दी है और यह एक उदाहरण बन गया है कि किस प्रकार प्रशासनिक अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जा सकता है।
बुजुर्ग आवंटी की परेशानी
इस पूरे मामले की शुरुआत एक बुजुर्ग आवंटी से हुई, जिनका आवास संबंधित काम विभाग में लंबित पड़ा था। आवंटी ने कई बार अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उनके मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। इसके कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। उनकी शिकायतों को लेकर जब सीईओ तक जानकारी पहुंची, तो उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए मामले को गंभीरता से लिया।
सीईओ लोकेश एम ने अधिकारियों को तुरंत आदेश दिया कि वे अपनी जिम्मेदारियों को सही समय पर और पूरी ईमानदारी से निभाएं। इस आदेश के बाद, सीईओ ने कर्मचारियों और अधिकारियों को आधे घंटे तक खड़े होने की सजा दी, ताकि वे अपने कार्यों की अहमियत समझ सकें।
आधे घंटे तक खड़े रहने की सजा
सीईओ का यह कदम एक स्पष्ट संदेश था कि विभागीय कार्यों में कोई भी लापरवाही या देरी सहन नहीं की जाएगी। इस आदेश के तहत, आवासीय विभाग के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को बिना ब्रेक के आधे घंटे तक खड़े रहने का फरमान सुनाया गया। सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से इस कार्य की निगरानी की गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आदेश का पूरी तरह से पालन हो रहा है।
जब आधे घंटे की सजा पूरी हुई, तो अधिकारियों और कर्मचारियों को बैठने का आदेश दिया गया। इस घटना के बाद, विभागीय कर्मचारियों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया कि यदि भविष्य में किसी के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, तो उन्हें भी इस प्रकार की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
अधिकारियों को जिम्मेदारी का अहसास
सीईओ के इस सख्त कदम का उद्देश्य अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास दिलाना था। यह कदम न केवल उस विशेष मामले को सुलझाने के लिए था, बल्कि विभागीय कार्यों में सुधार के लिए भी था। सीईओ ने स्पष्ट रूप से कहा कि सभी कर्मचारियों को अपने कार्यों को समय पर और प्रभावी तरीके से पूरा करना होगा, ताकि आम जनता को परेशानी का सामना न करना पड़े।
इस आदेश के बाद, विभागीय कर्मचारियों में हड़कंप मच गया, और अब यह देखा जाएगा कि इस कदम का कितना प्रभाव पड़ता है और क्या आने वाले समय में कार्यों में सुधार आता है।
क्या इस कदम से सुधार होगा?
इस सख्त कदम के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या इस प्रकार के आदेश से विभागीय कार्यों में सुधार आएगा? सीईओ का यह निर्णय निश्चित रूप से अधिकारियों और कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी देने वाला था। इस कदम ने यह साबित किया कि प्रशासन अपने कार्यों में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगा और कर्मचारियों को समय पर और प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए बाध्य करेगा।
हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि क्या यह कदम केवल एक अस्थायी समाधान था या इसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक विभागीय कार्यों में स्थायी सुधार होता है।