
UP Bridges
उत्तर प्रदेश, [TV 47 न्यूज़ नेटवर्क] उत्तर प्रदेश, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है, में छोटे-बड़े पुलों की एक विस्तृत श्रृंखला है। इन पुलों का महत्व न केवल यातायात के दृष्टिकोण से है, बल्कि ये क्षेत्रीय विकास और आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
चहलारी घाट ब्रिज : उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा पुल, जो सरयू नदी पर बना है। इसकी लंबाई 3760 मीटर है और यह बहराइच को सीतापुर से जोड़ता है। इस पुल का निर्माण 2015 में पूरा हुआ और इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था।
जगदीशपुर ब्रिज : यमुना नदी पर बना यह पुल यूपी का दूसरा सबसे लंबा पुल है। इसकी लंबाई लगभग 3200 मीटर है और यह कानपुर को इलाहाबाद से जोड़ता है। यह पुल 2016 में बनकर तैयार हुआ।
गंगा नदी पर बना पुल : यह पुल प्रयागराज और कौशांबी को जोड़ता है और इसकी लंबाई लगभग 3000 मीटर है। इसका उद्घाटन 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था।
सुल्तानपुर का रेलवे पुल : 2900 मीटर लंबा, यह यूपी का सबसे लंबा रेलवे पुल है। इसे 1965 में बनाया गया था और यह सुल्तानपुर को रायबरेली जिले से जोड़ता है।
अकबरी ब्रिज (मुगल ब्रिज) : यह जौनपुर में गोमती नदी पर बना है और क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है।
ओल्ड नैनी ब्रिज : यह 1006 मीटर लंबा पुल प्रयागराज से नैनी को जोड़ता है और 1927 से सड़क परिवहन के लिए उपयोग में है।
एलगिन ब्रिज : 3695 मीटर लंबा, यह घाघरा नदी पर बना है और भारत के गवर्नर जनरल लार्ड एल्गिन के नाम पर है।
मालवीय ब्रिज : वाराणसी में गंगा नदी पर बना यह 1048.5 मीटर लंबा डबल डेकर ब्रिज 1887 में स्थापित किया गया था और जीटी रोड इसी से गुजरती है।
छोटी गंडक नदी का पुल : कुशीनगर के हेतिमपुर में स्थित यह पुल 1904 में बनाया गया था और अब 118 साल पुराना हो चुका है।
इन पुलों की अद्वितीयता और निर्माण की तकनीक न केवल उत्तर प्रदेश की भौगोलिक विविधता को दर्शाती है, बल्कि यह राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी देती है। इन पुलों की सुरक्षा और रखरखाव पर ध्यान देकर हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर सकते हैं।