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पटना [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। बिहार, भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य, अपनी अनोखी राजनीतिक परंपरा और समीकरणों के लिए जाना जाता है। यहाँ की राजनीति में जटिलता, क्षेत्रीयता और स्थानीय मुद्दों का प्रभाव गहरा है। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव ने इस बात को फिर से साबित कर दिया है कि अब सत्ता की कुंजी राष्ट्रीय दलों के हाथ में नहीं, बल्कि स्थानीय ताकतों के हाथ में है।
यहां हम यह विश्लेषण करेंगे कि कैसे बिहार के 243 विधानसभा सीटों के इस गणित में जदयू और भाजपा के बीच 101-101 सीटें बंटी हैं, और कैसे लोजपा (आर), रालोमो और हम जैसे क्षेत्रीय दल राज्य की सियासत में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। यह समीकरण बिहार की राजनीति का नया चेहरा है, जो आने वाले दिनों में राज्य और राष्ट्रीय राजनीति दोनों को प्रभावित करेगा।
बिहार का राजनीतिक परिदृश्य: एक परिचय
बिहार की राजनीति का इतिहास प्राचीन और जटिल रहा है। यहाँ की राजनीति का आधार जाति, क्षेत्रीयता, और सामाजिक समीकरणों पर टिका रहा है। यहाँ की राजनीति में राष्ट्रीय दलों का वर्चस्व रहा है, परंतु हाल के वर्षों में क्षेत्रीय दलों ने अपनी पकड़ मजबूत की है।
बिहार में मुख्य राजनीतिक दल हैं:
- राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस)।
- क्षेत्रीय ताकतें: जदयू (जनता दल यूनाइटेड), लोजपा (रामविलास), रालोमो, हम, वाम दल, और अन्य छोटी पार्टियां।
2025 के चुनाव ने फिर से दिखाया है कि बिहार की सत्ता अब सिर्फ दिल्ली या पटना के राष्ट्रीय दलों के हाथ में नहीं है, बल्कि स्थानीय ताकतें सत्ता के केंद्रबिंदु बन गई हैं।
बिहार में सीटों का गणित: वर्तमान स्थिति का विश्लेषण
बिहार की विधानसभा की संख्या 243 है। इस गणित में मुख्य रूप से निम्नलिखित समीकरण उभर कर आते हैं:
| दल / गठबंधन | सीटें (अनुमानित/आधिकारिक) | प्रतिशत | भूमिका |
|---|---|---|---|
| जदयू (JD-U) | 101 | 41.5% | सत्ता का मुख्य आधार |
| भाजपा (BJP) | 101 | 41.5% | मुख्य सहयोगी, सत्ता की चाबी के रूप में |
| लोजपा (LJP-R) | 29 | 12% | क्षेत्रीय ताकत, निर्णायक भूमिका |
| रालोमो, हम, वाम दल | 12 (6-6-6) | 5% | क्षेत्रीय एवं वामपंथी दल |
यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जदयू और भाजपा, दोनों ही लगभग समान संख्या में सीटें प्राप्त कर चुके हैं। यह स्थिति बिहार की राजनीति में असामान्य नहीं है, क्योंकि दोनों दलों का गठबंधन और प्रतिस्पर्धा बिहार की सत्ता का मुख्य आधार है।
क्यों यह गणित महत्वपूर्ण है?
यह गणित दिखाता है कि सत्ता की दिशा अब सिर्फ बड़े राष्ट्रीय दलों के हाथ में नहीं है। बल्कि, यह स्थानीय ताकतों—जैसे लोजपा, रालोमो, और हम—के समर्थन या विरोध पर निर्भर हो गया है। यदि ये दल अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत रहते हैं, तो वे सरकार बनाने या गिराने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
जदयू और भाजपा का समीकरण
बिहार में जदयू और भाजपा का गठबंधन ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहा है। दोनों दल मिलकर बिहार की सत्ता का मुख्य आधार बनते रहे हैं।
1- जदयू का प्रदर्शन
- जदयू ने लगभग 101 सीटें हासिल की हैं। यह पार्टी बिहार में अपने परंपरागत वोट बैंक और क्षेत्रीय मजबूत पकड़ के बल पर चुनाव लड़ी है।
- जदयू का आधार मुख्य रूप से उत्तर बिहार, सीमांचल, और मिथिलांचल क्षेत्रों में मजबूत है।
- जदयू का प्रमुख नेता नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में लंबे समय से प्रभावशाली भूमिका निभाते रहे हैं।
2- भाजपा का प्रदर्शन
- भाजपा ने भी लगभग 101 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। इस बार उसकी सीटें 110 से घटाकर 101 हो गई हैं।
- भाजपा का मुख्य फोकस पश्चिमी बिहार, पटना, भोजपुर जैसे जिलों पर है।
- भाजपा ने कई जिलों में अपने प्रत्याशियों की संख्या घटाई है, और सहयोगियों को अधिक स्थान दिया है।
3- समीकरण का विश्लेषण
- दोनों दल बराबर की संख्या में सीटें प्राप्त कर चुके हैं, जिससे सत्ता का निर्णय उनके गठबंधन या विघटन पर निर्भर हो गया है।
- यदि दोनों दल साथ रहते हैं, तो सरकार बनाना आसान है, लेकिन यदि वे अलग होते हैं, तो बिहार की सत्ता में अस्थिरता आ सकती है।
- यह समीकरण यह भी दिखाता है कि दोनों दल अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन क्षेत्रीय ताकतों का दबाव उन्हें न चाहते हुए भी साझेदारी करने को मजबूर कर रहा है।
क्षेत्रीय ताकतें: लोजपा (आर), रालोमो, और हम का उभार
बिहार की राजनीति में क्षेत्रीय ताकतें जैसे लोजपा (रामविलास), रालोमो, और हम (हम पार्टी) अब निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। इन दलों की भूमिका को समझना जरूरी है क्योंकि ये दल सरकार बनाने में या गिराने में निर्णायक साबित हो सकते हैं।
1- लोजपा (आर): बिहार का मजबूत क्षेत्रीय खिलाड़ी
- लोजपा (रामविलास) पार्टी बिहार में अपनी मजबूत पकड़ रखती है।
- 2025 के चुनाव में, लोजपा ने 29 सीटें हासिल की हैं, जो उसकी राजनीतिक ताकत का संकेत है।
- लोजपा का आधार सीमांचल, उत्तर बिहार, और पूर्वी बिहार में है।
- पार्टी अपने क्षेत्रीय हितों और जातीय समीकरणों को मजबूत कर बिहार की सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
2- रालोमो और हम
- रालोमो (राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी) और हम (हिंदुस्तान आवाम मोर्चा) ने भी अपनी सीटें बढ़ाई हैं।
- दोनों दल मिलकर बिहार की राजनीति में अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं।
- इन दलों का मजबूत प्रदर्शन यह दर्शाता है कि बिहार में क्षेत्रीय दल अब सरकार और सत्ता के केन्द्रबिंदु बन रहे हैं।
3- क्षेत्रीय ताकतों का महत्व क्यों बढ़ रहा है?
- बिहार में जातीय, क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण अधिक प्रभावी हो गए हैं।
- राष्ट्रीय दल इन समीकरणों को नहीं तोड़ पा रहे हैं और क्षेत्रीय दल इन पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
- स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों से अधिक अहम हो गए हैं, और ये दल अपने-अपने इलाके में ‘मास्टर मैन्ड’ बन चुके हैं।
क्यों अब सत्ता की कुंजी क्षेत्रीय ताकतों के हाथ में है?
यह प्रश्न बिहार की वर्तमान राजनीति का मुख्य केंद्रबिंदु है। यहाँ की सत्ता का समीकरण अब स्पष्ट रूप से दिखा रहा है कि:
1. समान सीटें, असमान ताकतें
- जदयू और भाजपा दोनों ही लगभग बराबर सीटें जीतने में सफल रहे हैं। यह असामान्य स्थिति है, जो बिहार की राजनीति में नई समीकरण की शुरुआत है।
- इन दोनों दलों के बीच सरकार बनाने का निर्णय उनके समर्थन पर निर्भर है, जो अब क्षेत्रीय दलों की भूमिका तय कर रहा है।
2. क्षेत्रीय दलों का निर्णायक प्रभाव
- लोजपा, रालोमो, और हम जैसे दल अपने-अपने क्षेत्रीय वोट बैंक और समीकरणों से सरकार बनाने या गिराने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
- यदि ये दल अपना समर्थन देते हैं, तो सरकार बनाना आसान हो जाता है; नहीं तो सरकार के गठन में बाधाएं आती हैं।
3. समीकरण में बदलाव और विपक्ष का कमजोर होना
- राष्ट्रीय दल, जैसे कांग्रेस और भाजपा, अपने-अपने क्षेत्रीय आधार से कमजोर होते जा रहे हैं।
- कांग्रेस का स्थान अब राजद और वाम दलों ने ले लिया है, जबकि भाजपा का मुख्य समर्थन क्षेत्रीय दलों से है।
- इस स्थिति में, क्षेत्रीय दल ही ‘मास्टर प्लेयर’ बन गए हैं।
4. सामाजिक और जातीय समीकरण
- बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण अब अधिक प्रभावी हैं। क्षेत्रीय दल इन समीकरणों को अपने पक्ष में कर रहे हैं।
- यह दल अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत कर सरकार को समर्थन या विरोध कर सकते हैं।
