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बरेली [TV 47 न्यूज़ नेटवर्क] सितारगंज फोरलेन एवं रिंग रोड परियोजना में 21.52 करोड़ रुपये की धांधली में बुधवार को लोक निर्माण विभाग के पांच अधिकारियों-कर्मचारियों को शासन ने निलंबित कर दिया। सहायक अभियंता स्नेहलता श्रीवास्तव, अवर अभियंता राकेश कुमार, अंकित सक्सेना, सुरेंद्र सिंह और अमीन शिवशंकर को परिसंपत्ति मूल्यांकन में गलत सत्यापन का दोषी पाया गया था। डीएम की ओर से बनाई गई जांच कमेटी ने इनके विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी। इन पांच पर कार्रवाई के बाद अब शासन के अगले कदम का इंतजार है। जांच रिपोर्ट में विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी आशीष कुमार एवं तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी मदन कुमार, लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन अभियंता नारायण सिंह, लेखपाल सुरेश सक्सेना, उमाशंकर सक्सेना, अमीन डम्बर सिंह पर भी कार्रवाई के लिए लिखा था।
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे के चौड़ीकरण का प्रस्ताव वर्ष 2018 में पास हुआ था। यह कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को कराना था। इसके लिए एनएचएआइ की ओर से नामित एजेंसी साई सत्य ग्रुप एवं एसए इन्फ्रास्ट्रक्चर कन्सल्टेंसी ने सर्वे किया था। इसके बाद भूमि अधिग्रहण एवं परिसंपत्ति मूल्यांकन में गड़बडी की गई। जिस रूट से फोरलेन गुजरना था, वहां के खेत को किसानों से आनन-फानन खरीद लिए गए। अधिक मुआवजा प्राप्त करने के लिए टिन शेड आदि निर्माण कराए गए। इसकी भनक लगने पर अगस्त में एनएचएआइ मुख्यालय से आई टीम ने जांच की तो धांधली की पुष्टि हुई। जिसके बाद एनएचएआइ चेयरमैन ने तत्कालीन परियोजना अधिकारी बीपी पाठक समेत दो को निलंबित कर शासन से विस्तृत जांच के लिए पत्र लिखा था।
इसका संज्ञान लेते हुए डीएम रविंद्र कुमार ने सीडीओ जगप्रवेश की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। 10 सितंबर को सीडीओ ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि फोरलेन और रिंग रोड के लिए अधिग्रहण एवं परिसंपत्ति मूल्यांकन में धांधली की गई। एनएचएआइ, राजस्व विभाग और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों ने मिलीभगत से कुछ लोगों ने प्रस्तावित मार्ग पर भूमि खरीदी। इसके बाद गलत मूल्यांकन कर अधिक मुआवजा खरीदा गया। उन्होंने 50 लाख से अधिक मुआवजा वाले 15 मामलों की जांच की। इनमें छह स्थानों पर अधिग्रहण एवं परिसंपत्ति मूल्यांकन में धांधली की पुष्टि हुई थी। इन सभी के कारण सरकार को राजस्व की हानि हुई।
इन पर कार्रवाई शेष
सीडीओ ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा था कि सम्यक रूप से परीक्षण न करने, कार्य में शिथिलता एवं लापरवाही बरतने पर बरेली के विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी आशीष कुमार एवं तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी मदन कुमार को भी दोषी पाया गया। इनके विरुद्ध उचित कार्रवाई की संस्तुति की गई। इसी तरह गलत सत्यापन के लिए लोक निर्माण के तत्कालीन अभियंता नारायण सिंह, लेखपाल सुरेश सक्सेना, उमाशंकर, विशष भूमि अध्याप्ति अमीन डम्बर सिंह को भी दोषी माना था।
मंडलीय जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई का इंतजार
इस प्रकरण में मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने भी जांच कराई थी। जांच कमेटी ने अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ ही 19 खरीदारों को भी दोषी माना था। उस रिपोर्ट में लिखा गया कि पीलीभीत में भूमि खरीद में गड़बड़ी सामने आई। 19 बाहरी लोगों ने अधिक मुआवजा लेने के उद्देश्य से जमीनें खरीदीं। इसके बाद मिलीभगत से धांधली की गई। अभी मंडलायुक्त की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई होना शेष है।
कंपनियों पर कार्रवाई शेष
एनएचएआइ इस प्रकरण में दो अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुका है। उसकी नामित एजेंसी साई सत्य ग्रुप एवं एसए इन्फ्रास्ट्रक्चर कन्सल्टेंसी, इंजीनियर रविंद्र कुमार पर कार्रवाई शेष है। डीएम की जांच रिपोर्ट में इन समेत भी कार्रवाई की संस्तुति की गई। साथ ही अधिक मुआवजा लेने के लिए गड़बड़ी करने वाली भूमि खरीदारों पर भी कार्रवाई के लिए लिखा गया था। पूरे प्रकरण में कंपनियों की भूमिका पर सबसे ज्यादा सवाल उठे। माना गया कि एलाइनमेंट लीक किया गया, इसके बाद सुनियोजित तरीके से दूसरे जिलों से खरीदारों को बुलाया गया। इसके बाद मिलीभगत से अधिक मुआवजा दिया।