
बदायूं जामा मस्जिद में क्या है विवाद ?
बदायूं [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की एक अदालत में जामा मस्जिद के स्थान पर नीलकंठ महादेव मंदिर होने के विवाद पर सुनवाई जारी है। दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार की अदालत ने मामले की पोषणीयता पर विचार करते हुए, अगली सुनवाई की तिथि 3 दिसंबर निर्धारित की है। यह मामला 2022 से चल रहा है, जब अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने यह दावा किया था कि बदायूं की जामा मस्जिद पहले नीलकंठ महादेव मंदिर के स्थान पर बनी थी। इसके लिए उन्होंने मस्जिद में पूजा-अर्चना की अनुमति की याचिका दायर की थी।
हिंदू महासभा का दावा और मस्जिद इंतजामिया कमेटी का विरोध
मुकदमे में हिंदू महासभा के वादी मुकेश पटेल का कहना है कि जामा मस्जिद जिस स्थल पर स्थित है, वह पहले एक प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव मंदिर था और वहां पूजा-अर्चना की अनुमति मिलनी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट से इस आरोप का समर्थन मिलता है। इसके बाद मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने इस दावे का विरोध किया है। उनके अधिवक्ता असरार अहमद का कहना है कि यह मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है और यहां किसी मंदिर के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं है।
इसी विवाद के तहत मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने यह भी दलील दी कि हिंदू महासभा को इस मामले में याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि यह मामला धार्मिक पूजा-अर्चना से संबंधित नहीं है, बल्कि केवल ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है।
अदालत में पेश साक्ष्य और पुरातत्व रिपोर्ट
अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान, वादी पक्ष के अधिवक्ता विवेक रेंडर ने दावा किया कि उन्होंने अदालत में पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। उनके अनुसार पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट भी इस मामले को लेकर महत्वपूर्ण प्रमाण प्रदान करती है। रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि जिस स्थान पर जामा मस्जिद खड़ी है, वह पहले एक मंदिर का स्थान था।
इस मामले की संवेदनशीलता
बदायूं के जामा मस्जिद के विवाद ने जिले में एक नई बहस को जन्म दिया है, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील है। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देशभर में धार्मिक स्थलों से संबंधित कई मामले अदालतों में चल रहे हैं। विशेष रूप से, संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद भड़की हिंसा के कारण, इस मामले की संवेदनशीलता और भी बढ़ गई है।
गौरतलब है कि 24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में चार लोग मारे गए थे और 25 से अधिक लोग घायल हो गए थे। यह घटना इस विवाद को और ज्यादा राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना देती है, क्योंकि इससे जुड़े मुद्दों पर किसी भी प्रकार की हिंसा या उथल-पुथल की आशंका बनी रहती है।
आने वाली सुनवाई और अदालत का फैसला
अदालत ने मामले की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) पर विचार करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 3 दिसंबर 2023 तय की है। इस सुनवाई में दोनों पक्षों की ओर से अधिक साक्ष्य और दलीलें प्रस्तुत की जा सकती हैं। अदालत के फैसले से यह साफ हो जाएगा कि इस मामले में आगे किस दिशा में कानूनी प्रक्रिया चलेगी और क्या अदालत पूजा-अर्चना की अनुमति देने के पक्ष में है या नहीं।