
सपा नेता आजम खां। फाइल फोटो।
प्रयागराज, [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता मोहम्मद आजम खां और उनके तीन अन्य सहयोगियों को हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने आवासीय भवन गिराकर कॉलोनी बनाने के मामले में पूर्व मंत्री की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। प्रकरण में छह अगस्त को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था।
आजम खां को इस मामले में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट से सात साल की सजा सुनाई गई है। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है। अपील लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहाई की मांग की गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने अधिवक्ता इमरानुल्लाह व अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव एजीएजे के उपाध्याय तथा प्रशांत कुमार सिंह को सुनकर दिया है।
पीसी श्रीवास्तव ने बताया कि आजम खां के खिलाफ 104 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। चार में सजा हो चुकी है। इसी प्रकार तत्कालीन सीओ आले हसन पर 64 आपराधिक केस तथा बरकत अली पर 13 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। कोर्ट ने इसी मामले में बरकत अली उर्फ ठेकेदार ,तत्कालीन सीओ आले हसन और अजहर खान की अपील पर जमानत अर्जी को खारिज कर दी है।
इन तीनों को भी स्पेशल कोर्ट से पांच साल की सजा हुई है। शिकायतकर्ता एहतेशाम ने आजम खां सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि आरोपितों ने आसरा आवास कॉलोनी बनाने के लिए उसका रिहायशी मकान बुलडोजर से गिरवा दिया और सारा सामान और 25 रुपये रुपये नगद उठा ले गए।
विरोध करने पर यह कहते हुए मारा पीटा कि तुम आजम खां को वोट नहीं देते हो। तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां की मिलीभगत है। स्पेशल कोर्ट ने आजम खां समेत चारों अभियुक्तों को 16 मार्च 2024 को सजा सुनाई थी। आईपीसी की धारा 427 452 504 506 में पूर्वमंत्री को सात साल की सजा सुनाने के साथ पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है।
सरकार की तरफ से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि इन लोगों (आरोपितों) का उद्देश्य साबित हो चुका है। शिकायतकर्ता का मकान निजी लाभ के लिए आसरा आवास कॉलोनी बनाने के इरादे से गिराया गया।
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