
डॉ. मनमोहन सिंह: एक अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री तक
दिल्ली [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में सुधारों के लिए एक मील का पत्थर माना जाता है। 26 सितंबर 1932 को गाह, पंजाब (अब पाकिस्तान) के एक साधारण सिख परिवार में जन्मे डॉ. सिंह ने अपने जीवन में शिक्षा, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के दम पर ऊंचाइयों को छुआ। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया और उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की, जहां उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
डॉ. सिंह का करियर एक अर्थशास्त्री के रूप में शुरू हुआ। 1982 से 1985 तक वे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। 1991 में भारत के आर्थिक संकट के समय, तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया। उनकी नई आर्थिक नीतियों उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण ने भारत को आर्थिक सुधार की राह पर डाल दिया।
2004 में वे प्रधानमंत्री बने और 2014 तक इस पद पर रहे। उनके कार्यकाल में सूचना का अधिकार अधिनियम, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाएं शुरू हुईं। उनके नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था ने तेज़ी से विकास किया और देश आईटी व सेवा क्षेत्र में अग्रणी बना।
डॉ. मनमोहन सिंह ने न केवल राजनीति बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास में भी गहरा योगदान दिया। उनके जीवन की सादगी, ईमानदारी और दूरदर्शिता उन्हें भारतीय राजनीति का आदर्श व्यक्तित्व बनाती हैं। डॉ. सिंह का जीवन संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी है, जो बताती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में सुधारों के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। एक साधारण परिवार से आने वाले डॉ. मनमोहन सिंह ने शिक्षा, नीतियों और नेतृत्व के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी। आइए उनके जीवन, संघर्ष और योगदान की विस्तृत कहानी पर नज़र डालते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- प्रारंभिक शिक्षा: विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। अमृतसर के हिंदू कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की।
- अर्थशास्त्र में रुचि: उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की।
- विदेश में शिक्षा: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड से उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
- शिक्षा से लेकर नौकरशाही तक का सफर
शिक्षण करियर:
- 1957-1959: पंजाब विश्वविद्यालय में वरिष्ठ व्याख्याता।
- 1963-1965: प्रोफेसर के रूप में कार्य।
- संयुक्त राष्ट्र में कार्य: 1966-1969 के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया।
नौकरशाही का सफर:
- 1972-1976: मुख्य आर्थिक सलाहकार।
- 1982-1985: भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर।
- 1985-1987: योजना आयोग के उपाध्यक्ष।
1991 का आर्थिक सुधार और वित्त मंत्री के रूप में योगदान
- नई आर्थिक नीति: उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीति लागू की।
- विदेशी निवेश: भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया।
- रुपए का अवमूल्यन: संकट को टालने के लिए रुपए का अवमूल्यन किया।
इन सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और डॉ. सिंह को एक वैश्विक सुधारवादी अर्थशास्त्री के रूप में पहचान दिलाई।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल (2004-2014)
- 2004 में, सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया।
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) लागू की। - सूचना का अधिकार अधिनियम: पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए सूचना का अधिकार लागू किया।
- आर्थिक वृद्धि: उनके नेतृत्व में भारत की GDP ने 8% तक की वृद्धि दर्ज की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
- अमेरिका के साथ परमाणु समझौता: 2008 में उन्होंने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को अंतिम रूप दिया।
- वैश्विक मंच पर भारत: G20 शिखर सम्मेलन और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में भारत का मजबूत नेतृत्व दिखाया।
निजी जीवन और परिवार
डॉ. मनमोहन सिंह ने 1958 में गुरशरण कौर से विवाह किया। उनके तीन बेटियां हैं:
- उपिंदर सिंह: एक प्रसिद्ध इतिहासकार।
- दमन सिंह: एक लेखिका।
- अमृत सिंह: मानवाधिकार वकील।
डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत
डॉ. सिंह ने राजनीति में रहते हुए अपनी ईमानदारी और नीतिगत दृढ़ता का उदाहरण पेश किया।
- प्रेरणास्त्रोत: उन्होंने न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया, बल्कि एक आदर्श नेतृत्व की मिसाल कायम की।
- भविष्य की प्रेरणा: आने वाली पीढ़ियों के लिए उनका जीवन एक प्रेरणा बना रहेगा।