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अलीगढ़ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की स्थापना 1920 में हुई थी। तब से यह एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान बना हुआ है। इसे पहले मुस्लिम यूनिवर्सिटी के रूप में एक विशेष दर्जा प्राप्त था। भारतीय संविधान की धारा 30 के तहत आता है। लेकिन, 1967 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस विशेष दर्जे पर सवाल उठने लगे।
आखिर क्या है मामला ?
एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्राप्त है या नहीं, यह मुद्दा कई वर्षों से विवाद का विषय बना हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई की जा रही है ताकि यह तय हो सके कि क्या एएमयू का विशेष दर्जा बरकरार रह सकता है या नहीं।
एएमयू के विशेष दर्जे का महत्त्व
एएमयू का विशेष दर्जा उसे अन्य शैक्षणिक संस्थानों से अलग बनाता है। अगर इसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा प्राप्त होता है, तो यह अपने छात्र-छात्राओं के लिए आरक्षण और अन्य लाभ दे सकता है। इस दर्जे से जुड़े निर्णय का न केवल एएमयू, बल्कि अन्य शैक्षणिक संस्थानों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
कोर्ट की संभावित दिशा और इसके प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार पूरा देश कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का असर न केवल एएमयू पर, बल्कि अन्य अल्पसंख्यक संस्थानों और उनके अधिकारों पर भी पड़ेगा। यदि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहता है, तो यह देश के अन्य संस्थानों के लिए एक उदाहरण होगा।
सुप्रीम कोर्ट में एएमयू के मामले की सुनवाई का निर्णय भारत के शैक्षणिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। इस केस का परिणाम संस्थानों के अधिकारों और अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दों पर प्रभाव डाल सकता है।