
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ] । इलाहाबाद हाईकोर्ट, जो कि भारत के प्रमुख न्यायिक प्रतिष्ठानों में से एक है, ने अपने इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने यहां अधिवक्ता चैंबर और मल्टीलेवल पार्किंग का उद्घाटन किया। यह आयोजन न केवल न्यायिक व्यवस्था के विकास का प्रतीक है बल्कि आधुनिक तकनीक और विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ न्यायिक परिसर को और भी बेहतर बनाने का प्रयास है। इस अभूतपूर्व परियोजना का उद्घाटन देश के सर्वोच्च न्यायाधीश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में हुआ, जिसने कार्यक्रम को अनूठा और ऐतिहासिक बना दिया।
उद्घाटन समारोह का वर्णन और मुख्य अतिथि
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में नए अधिवक्ता चैंबर और मल्टीलेवल पार्किंग का उद्घाटन रिमोट के माध्यम से किया। इस अवसर पर उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल का भी शुभारंभ किया, जो आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी और मानवीय हस्तक्षेप से मुक्त बनाने का प्रतीक है। इस तकनीक का प्रयोग अत्याधुनिक है, जो आवंटन प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
अधिवक्ता चैंबर का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मनोज मिश्र, जस्टिस पंकज मित्थल, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बीवी नागरत्ना समेत अनेक गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया, जिसके बाद मुख्य अतिथि ने परिसर का निरीक्षण किया। सभी अतिथियों का स्वागत बुके, पौधा और प्रतीक चिन्ह देकर किया गया।
अधिवक्ता चैंबर और मल्टीलेवल पार्किंग का अवलोकन
यह परियोजना इलाहाबाद हाईकोर्ट के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। यह भारत का सबसे बड़ा अधिवक्ता चैंबर और पार्किंग है, जिसे 20 लाख वर्गफीट क्षेत्र में विकसित किया गया है। यह परिसर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जिसमें लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल, कांन्फ्रेंस और मीटिंग रूम, पोस्ट ऑफिस, एसबीआई की शाखा, और अत्याधुनिक पार्किंग व्यवस्था शामिल है।
निर्माण की विस्तृत जानकारी
इस परियोजना की कुल लागत लगभग 680 करोड़ रुपये है, जो विश्वस्तरीय सुविधाओं पर आधारित है। इसमें 204 अधिवक्ता कक्ष, 25 टॉयलेट, 14 सीढ़ी, 24 लिफ्ट, और 2,283 चार पहिया वाहन खड़े करने की व्यवस्था है। प्रथम तल का क्षेत्र चार एकड़ से अधिक है, और सम्पूर्ण परिसर 12.35 हेक्टेयर में फैला हुआ है। द्वितीय चरण में वादकारी खंड का निर्माण भी प्रस्तावित है, जिससे न्यायिक कार्यवाही और भी सरल और सुगम हो सके।
तकनीकी पहलू और पारदर्शी आवंटन
हाईकोर्ट की वेबसाइट पर एक विशेष वेब पोर्टल विकसित किया गया है, जिसका प्रयोग आवंटन के लिए किया जाएगा। यह पोर्टल पूरी तरह से पारदर्शी है, जिसमें मानवीय हस्तक्षेप की संभावना शून्य है। इस तकनीक का प्रयोग आवंटन प्रक्रिया को निष्पक्ष और तेज बनाने के लिए किया गया है, जिससे अधिवक्ताओं और अन्य संबंधित पक्षों को लाभ होगा।
निर्माण में सहयोग और पारिस्थितिकी
यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष योगदान और समर्थन से संभव हो सकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने अभिन्न योगदान का धन्यवाद व्यक्त किया। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और अधिकारियों ने भी इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन में अपना योगदान दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का भी इस अवसर पर स्वागत किया गया, जिन्होंने पौधा भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
विजन डॉक्यूमेंट और निर्माण का विस्तृत विवरण
परियोजना का विजन डॉक्यूमेंट हाईकोर्ट परिसर में 20 लाख वर्गफीट क्षेत्र में निर्माण कार्य का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। इसमें अत्याधुनिक सुविधाओं का समावेश है, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय परिसर को विश्वस्तरीय बनाती हैं। इस परिसर में अत्याधुनिक लाइब्रेरी, सम्मेलन कक्ष, मीटिंग रूम, पोस्ट ऑफिस, बैंक शाखा, और पार्किंग की व्यवस्था है। यह सब मिलकर न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।
निर्माण कार्य का महत्व और भविष्य की योजनाएं
यह परियोजना केवल एक निर्माण कार्य नहीं है बल्कि एक नई सोच और आधुनिकता का प्रतीक है। यह न्यायपालिका की विश्वसनीयता और कार्यक्षमता को बढ़ाने के साथ ही अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों के लिए भी सुविधाजनक माहौल प्रदान करता है। भविष्य में, द्वितीय चरण के रूप में वादकारी खंड का निर्माण किया जाएगा, जो न्यायिक कार्यवाही को और भी प्रभावी बनाएगा।