
अग्नि अखाड़े की पेशवाई
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। प्रयागराज के अग्नि अखाड़े की पेशवाई माघ मेले का एक प्रमुख आकर्षण है। यह न केवल धर्म और आस्था का संगम है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की अद्वितीय झलक भी प्रस्तुत करता है। यह भव्य शोभायात्रा चौफटका स्थित अनंत माधव मंदिर से प्रारंभ हुई और करबला, हिम्मतगंज, खुल्दाबाद और चौक जैसे प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए मेले के मुख्य क्षेत्र में प्रवेश कर गई।
पेशवाई का प्रारंभ और मार्ग
पेशवाई के दौरान साधु-संत भव्य रथों और बग्घियों पर सवार होकर चल रहे थे। इनके साथ घोड़ों पर सवार साधुओं का काफिला भी शामिल था, जो पूरे आयोजन को और भी आकर्षक बना रहा था। डीजे, ढोल-नगाड़े और डमरू वादकों ने भक्तिमय माहौल तैयार किया। “गंगा तेरा पानी अमृत” और “मानो तो मैं गंगा मां हूं” जैसे भक्ति गीतों पर साधु-संत झूमते हुए नजर आए। मार्ग में खड़े श्रद्धालुओं ने साधु-संतों का पुष्पवर्षा से भव्य स्वागत किया।
अग्नि अखाड़े की महत्ता
अग्नि अखाड़ा भारतीय संत समाज का एक प्रमुख हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य धर्म और संस्कृति की रक्षा करना, वैदिक ज्ञान का प्रचार करना और साधुओं को संगठित करना है। अखाड़ा धर्म की रक्षा और सनातन परंपरा के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान देता है। पेशवाई के माध्यम से साधु-संत समाज में नैतिकता और अध्यात्म के प्रति जागरूकता लाते हैं। अखाड़ों का इतिहास 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपराओं से जुड़ा है। अग्नि अखाड़ा भी उन्हीं परंपराओं का पालन करता है और धर्म के साथ-साथ समाज में शांति और एकता का संदेश देता है।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण
पेशवाई में साधु-संतों का दर्शन करना श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। साधु-संतों के साथ भक्ति गीतों और मंत्रोच्चार ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। इस शोभायात्रा ने मेले की शुरुआत को भव्य और यादगार बना दिया। पेशवाई भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करती है। साधु-संतों की वेशभूषा उनके रथ और पारंपरिक वाद्य यंत्र भारतीय परंपरा की जीवंतता को दर्शाते हैं।