मेरठ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से एक बड़ा ही विवादित मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश की राजनीति और पुलिस व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। 2019 में मेरठ के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एक युवती का अपहरण हुआ, और उस समय के पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। खासतौर पर, क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान सिद्दीकी का नाम सामने आया है, जिनके खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने पीड़ित परिजनों को फटकार लगाई और मामला सही तरीके से नहीं लिया। अब, इस मामले में कार्रवाई करते हुए, उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। आइए, इस प्रकरण का विस्तार से विश्लेषण करें।
2019 का वह दर्दनाक अपहरण का मामला
घटना का संक्षिप्त विवरण
वर्ष 2019 में मेरठ के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एक युवती का अपहरण हो गया था। परिजनों ने तुरंत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोप था कि बदर अख्तर सिद्दीकी के गिरोह ने युवती का अपहरण किया। परिजनों का दावा था कि अपहरण के बाद उसे बदर अख्तर के गिरोह ने छांगुर बाबा के स्थान पर रखा है।
पुलिस का रवैया और आरोप
परिजनों ने पुलिस को तहरीर दी, जिसमें उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की जाए। लेकिन, उस समय के सिविल लाइन थाना प्रभारी अब्दुल रहमान सिद्दीकी ने परिजनों को फटकार लगाई और उन्हें भगा दिया। यह कार्रवाई पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई। परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और आरोपियों को बचाने का प्रयास किया।
परिजनों का आरोप और उनका पक्ष
- अपहरण का आरोप: परिजनों का दावा था कि बदर अख्तर सिद्दीकी का गिरोह युवती का अपहरण कर ले गया है।
- पुलिस की लापरवाही: पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, बल्कि पीड़ित परिवार को डांटा और भगा दिया।
- सामाजिक दबाव: यह मामला सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था।
पुलिस की भूमिका और कार्यशैली पर सवाल
तत्कालीन पुलिस अधिकारी का रवैया
अब्दुल रहमान सिद्दीकी का रवैया इस पूरे प्रकरण में विवादास्पद रहा। आरोप है कि उन्होंने पीड़ित परिवार को डांटा और मामले को दबाने का प्रयास किया। यह कार्रवाई न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है बल्कि कानून व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।
राजनीतिक और सामाजिक दबाव
यह मामला मीडिया और मानवाधिकार संगठनों के ध्यान में आया। इसके बाद, कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने पुलिस कार्यशैली की निंदा की।
हाल के घटनाक्रम
वर्ष 2025 में, इस विवादित मामले की नई जांच शुरू हुई। अधिकारियों ने पाया कि उस समय की पुलिस कार्रवाई उचित नहीं थी। विशेष रूप से, क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान सिद्दीकी के खिलाफ गंभीर आरोप लगे।
सस्पेंशन का आदेश
आखिरकार, यूपी पुलिस ने पूरे प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए, अब्दुल रहमान सिद्दीकी को सस्पेंड कर दिया। इस कार्रवाई का उद्देश्य पुलिस की कार्यशैली में सुधार और जनता का विश्वास बहाल करना है।
जनता और परिजनों की प्रतिक्रिया
- परिजन: परिजनों ने राहत की सांस ली और कहा कि न्याय की शुरुआत हुई है।
- सामाजिक संगठनों: मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया और कहा कि यह पुलिस की जवाबदेही का प्रतीक है।
- राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्षी दलों ने भी इस कार्रवाई को सही कदम बताया।
