
इलाहाबाद हाई कोर्ट।
प्रयागराज,[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अवमानना मामले में बलिया जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस), देवेंद्र कुमार गुप्ता को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने देवेंद्र कुमार गुप्ता से 31 जनवरी 2025 तक जवाब मांगा है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवहेलना के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए। इस आदेश ने न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया है, जहां एक सरकारी अधिकारी को कोर्ट के आदेश का पालन न करने के लिए कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
क्या था मामला?
यह मामला उस समय का है जब 2008 में प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति के संदर्भ में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने अदालत में दावा किया था कि उन्हें प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति मिली थी, लेकिन उनका अनुमोदन नहीं दिया गया था, जिसके चलते उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने इस मामले में डीआईओएस बलिया को आदेश दिया था कि वह इस मामले पर छह सप्ताह के भीतर निर्णय लें।
हाईकोर्ट का आदेश और डीआईओएस की प्रतिक्रिया
हालांकि, हाईकोर्ट के द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद भी जिला विद्यालय निरीक्षक ने समय सीमा के भीतर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण अवमानना नोटिस जारी किया गया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अगर डीआईओएस ने आदेश का पालन नहीं किया, तो उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी।
अवमानना नोटिस का महत्व
अवमानना नोटिस वह कदम है, जिसे कोर्ट तब जारी करता है जब कोई व्यक्ति या अधिकारी अदालत के आदेश का पालन नहीं करता। यह एक गंभीर कदम है, जिससे संबंधित व्यक्ति को न्यायालय के आदेश की अवहेलना के कारण कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में डीआईओएस को नोटिस जारी करते हुए यह संकेत दिया कि वह अदालत के आदेशों की पूरी तरह से अनुपालना सुनिश्चित करें और किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लेगा।
न्यायिक प्रक्रिया में देरी पर चिंता
न्यायालय के आदेशों की अवहेलना और निर्णय में देरी पर चिंता जताई गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि जब कोर्ट ने आदेश दिया था, तो डीआईओएस बलिया ने जानबूझकर कार्यवाही में देर की, जिससे उनकी नियुक्ति और भविष्य पर असर पड़ा। इस तरह की स्थितियों से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी विभागों में निर्णय लेने की प्रक्रिया कितनी धीमी हो सकती है और इस पर प्रभावी नियंत्रण की आवश्यकता है।
आगे की कार्रवाई और संभावना
अब, 31 जनवरी 2025 तक जिला विद्यालय निरीक्षक से जवाब देने के बाद यदि कोर्ट को संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता, तो उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जा सकती है। यह कार्यवाही उनकी सेवा पर भी प्रभाव डाल सकती है और उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठा सकती है।