
Baby Rani Maurya File Photo
लखनऊ,[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। उत्तर प्रदेश के बाल विकास और पुष्टाहार विभाग से जुड़े कुछ अधिकारियों की लापरवाही ने विधान परिषद में विभाग की किरकिरी कर दी। शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी द्वारा पूछे गए सवाल का सही तरीके से जवाब देने में विभागीय अधिकारियों ने गंभीर गलती की, जिसके बाद बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य ने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। इस घटना ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और यह दर्शाया है कि सरकारी अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना चाहिए।
त्रुटिपूर्ण जानकारी देने पर मंत्री ने कार्रवाई के निर्देश दिए
विधान परिषद में ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने सिद्धार्थनगर जिले में कुपोषित बच्चों के मामले से जुड़े सवाल पूछे थे। इस सवाल का जवाब बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य दे रही थीं, जब विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किए गए चार्ट में वर्ष 2019-20 की बजाए वर्ष 20-2019 और वर्ष 2023-24 की बजाए वर्ष 24-2023 लिखा गया था। यह त्रुटि न केवल असंगत थी बल्कि इससे सरकार की कार्यशैली पर भी नकारात्मक असर पड़ा।
विधान परिषद में उठी कड़ी निंदा
जब ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने इस गलती को इंगीत किया, तो सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने इस पर गहरी नाराजगी जताई और विभागीय अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। सभापति ने मंत्री बेबी रानी मौर्य से कहा कि जिन अधिकारियों ने यह गलती की और मंत्री के हस्ताक्षर कराए, उनके खिलाफ त्वरित जांच की जाए और कार्रवाई की जाए।
मंत्री ने भरोसा दिलाया, होगी कड़ी कार्रवाई
मंत्री बेबी रानी मौर्य ने विधान परिषद में भरोसा दिलाया कि ऐसी लापरवाही भविष्य में नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ग़लत सूचना देने वाले अधिकारियों के खिलाफ पूरी गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी और इस प्रकार की त्रुटि को रोकने के लिए विभागीय तंत्र को सुधारने के लिए कदम उठाए जाएंगे। मंत्री ने यह भी कहा कि ऐसी घटना से विभाग की छवि को नुकसान पहुंचता है और इसका असर सरकार के कार्यों पर पड़ता है।
कुपोषण और बजट आवंटन पर अधिक जानकारी की मांग
सभापति ने मंत्री से यह भी निर्देशित किया कि जिन वर्षों में कुपोषित बच्चों के आंकड़े पेश किए गए हैं, उन वर्षों में बजट आवंटन का ब्योरा भी दिया जाए। इससे यह स्पष्ट होगा कि सरकारी धन का उपयोग सही तरीके से हुआ है या नहीं। इस कदम से सरकार की पारदर्शिता और जिम्मेदारी की जांच की जा सकेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कुपोषण के मामलों में सुधार के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं।