
दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन और डिजिटल क्रांति का संगम
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। हर 12 साल में प्रयागराज के पवित्र संगम तट पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है, जो न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा जनसंग्रह भी है। इस बार 2025 में आयोजित होने वाले महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। राज्य सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक और आधुनिक आयोजन बनाने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
महाकुंभ का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
महाकुंभ को सदियों से ‘पृथ्वी पर लगने वाला सबसे बड़ा मेला’ माना जाता है। हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज, ये चार पवित्र स्थान कुंभ मेले की परंपरा से जुड़े हैं। प्रयागराज का संगम तट, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का मिलन होता है, इसे अन्य स्थानों से अलग धार्मिक महत्व प्रदान करता है। यह आयोजन न केवल भारत बल्कि विश्वभर के श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मेले में स्नान को पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना जाता है।
महाकुंभनगर: कुंभ क्षेत्र का विशेष जिला
कुंभ मेले के विशाल क्षेत्र और यहां जुटने वाले करोड़ों लोगों की सुविधाओं और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कुंभ क्षेत्र को ‘महाकुंभनगर’ का दर्जा दिया है।
मेलाधिकारी और उनकी टीम: महाकुंभनगर का प्रशासनिक प्रबंधन मेलाधिकारी विजय किरन आनंद और एसएसपी राजेश द्विवेदी के नेतृत्व में हो रहा है। इस बार कुंभ क्षेत्र में 50,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। पहली बार इस महाकुंभ में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है।
महाकुंभ 2025 को डिजिटल रूप से उन्नत बनाने के लिए विशेष योजनाएं
- महाकुंभ मेला ऐप: यात्रियों को मार्गदर्शन और जानकारी प्रदान करने के लिए।
- एआई चैटबॉट और क्यूआर कोड: स्थान और सेवाओं की जानकारी आसान बनाता है।
- गूगल मैप्स मैपिंग: प्रशासन ने गूगल के साथ साझेदारी की है, ताकि श्रद्धालु आसानी से मंदिरों और संगम तट तक पहुंच सकें।
- डिजिटल लॉस्ट एंड फाउंड सिस्टम: मेले में खोए हुए सामान और व्यक्तियों को ढूंढने के लिए।
कुंभ 2025: सुरक्षा में तकनीकी और मानवीय संसाधनों का संगम
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और विशाल सुरक्षा बल का सहारा लिया जा रहा है। प्रशासन ने मेले को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। ड्रोन तकनीक का उपयोग पूरे कुंभ क्षेत्र की निगरानी के लिए किया जा रहा है। ये सुरक्षा उपाय न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं, बल्कि महाकुंभ 2025 को दुनिया के सबसे संगठित और सुरक्षित आयोजनों में से एक बनाने का प्रयास है।
- बिना अनुमति ड्रोन पर कार्रवाई: ऐसे ड्रोन की गतिविधि रोकने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किया गया है।
- संदिग्ध गतिविधियों की पहचान: ड्रोन निगरानी टीम हर पल सतर्क है।
50,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती
- सुरक्षाबल: पुलिस, अर्धसैनिक बल, पीएसी, होमगार्ड, और सिविल डिफेंस के जवान।
- दैनिक गश्त और चौकसी: क्षेत्र की निगरानी और भीड़ प्रबंधन के लिए।
सीसीटीवी और फेस रिकग्निशन तकनीक : प्रयागराज कुंभ क्षेत्र में अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछाया गया है।
- फेस रिकग्निशन तकनीक: संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान और ट्रैकिंग के लिए।
- रियल-टाइम मॉनिटरिंग: हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम से सीधा संपर्क।
- आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया: तकनीकी डेटा के आधार पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित।
डिजिटल खोया-पाया सेंटर: कुंभ मेले का नया आयाम
महाकुंभ 2025 में प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 10 डिजिटल खोया-पाया सेंटर स्थापित किए हैं। हालांकि, ये अभी टेस्टिंग के दौर में हैं, लेकिन प्रशासन का दावा है कि डिजिटल तकनीक से लैस ये सेंटर बहुत कारगर साबित होंगे। इस नई पहल से मेले में आने वाले करोड़ों लोगों की यात्रा और सुरक्षित अनुभव को और भी बेहतर बनाने की उम्मीद है।
विशेषताएं:
- डेटा ट्रैकिंग और रजिस्ट्रेशन: खोए हुए सामान या व्यक्तियों की जानकारी को तुरंत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा।
- फेस रिकग्निशन तकनीक: खोए हुए व्यक्तियों की पहचान करने में मददगार।
- केंद्र की लोकेशन: कुंभ क्षेत्र में रणनीतिक रूप से स्थित, ताकि हर श्रद्धालु को आसान पहुंच मिले।
- रियल-टाइम अपडेट्स: मोबाइल ऐप और क्यूआर कोड के जरिए तुरंत जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
सुविधाओं की चुनौती और समाधान: करोड़ों लोगों के आवागमन और संगम स्नान को सुगम बनाने के लिए सरकार ने व्यापक स्तर पर सुविधाओं का विस्तार किया है।
- शौचालय, पेयजल और ठहरने की व्यवस्थाएं।
- यातायात प्रबंधन के लिए विशेष मार्ग।
- चिकित्सा आपातकालीन सेवाएं।