
शनिवार को मुक्तकाशी मंच पर आयोजित कवि सम्मेलन
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। राष्ट्रीय शिल्प मेले के सातवें दिन, शनिवार को मुक्तकाशी मंच पर आयोजित कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने महोत्सव को खास बना दिया। हास्य-व्यंग्य, गीत और नृत्य की रंगारंग प्रस्तुतियों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। सच में राष्ट्रीय शिल्प मेले का सातवां दिन कला और संस्कृति का अद्भुत संगम रहा। कवियों ने जहां हास्य-व्यंग्य और ओज से श्रोताओं को गुदगुदाया और प्रेरित किया, वहीं कलाकारों ने गीत और नृत्य से माहौल को सतरंगी बना दिया।

कवि सम्मेलन: हास्य और व्यंग्य का रंग
इस दिन का मुख्य आकर्षण कवि सम्मेलन रहा, जहां देशभर के प्रख्यात कवियों ने अपनी कविताओं से महोत्सव को जीवंत कर दिया।
यश मालवीय की प्रेरणादायक पंक्तियां
कवि यश मालवीय ने अपनी रचना से आध्यात्मिकता और प्रयागराज की महिमा को सजीव कर दिया। उन्होंने पढ़ा:
“गंगा के तट पर जगा, ऐसा जीवन राग
तन तो काशी हो गया, मन हो गया प्रयाग।”
इन पंक्तियों ने श्रोताओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
पंकज प्रसून का हास्य व्यंग्य
लखनऊ से आए कवि पंकज प्रसून ने अपने व्यंग्यात्मक अंदाज से दर्शकों को गुदगुदाया। उन्होंने कहा:
“शहर में प्रदूषण चरम पर है संभल जाइये,
अब बॉडी बनाना छोड़ एंटीबॉडी बनाइये।
हर गाँव में बिकेगी, सब जिलों में बिकेगी,
एक दिन हवा भी यार, बोतलों में बिकेगी।”
यह कविता पर्यावरणीय संकट पर कटाक्ष थी, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
योगेंद्र मिश्रा का ओजपूर्ण काव्य
प्रयागराज के योगेंद्र मिश्रा ने सामाजिक मुद्दों पर अपनी रचना प्रस्तुत की:
“लड़ते-लड़ते रावणों से राम शायद थक गया है,
इसलिए पुरुषार्थ का रथ मध्य पथ में रुक गया है।”
उनकी ओजपूर्ण शैली ने दर्शकों को आत्ममंथन पर विवश कर दिया।
योगेंद्र मिश्रा ने सामाजिक मुद्दों को अपने अंदाज में प्रस्तुत किया:
“लड़ते-लड़ते रावणों से राम शायद थक गया है,
इसलिए पुरुषार्थ का रथ मध्य पथ में रुक गया है।”
विनीत पांडेय ने जिंदगी को महकाने का संदेश देते हुए कहा:
“फूल बनकर महक जाना जिंदगी है।”
शैलेश गौतम ने अपनी ओजपूर्ण वाणी से श्रोताओं को प्रेरित किया। उन्होंने पढ़ा:
“हम भोले से भोले तो हैं किंतु इतना ध्यान रहे,
अभयदान भी दे सकते, और प्राण भी हम हर लेते हैं।”
प्रयागराज की महिमा पर आधारित कविताएं
कवि शैलेन्द्र मधुर ने प्रयागराज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा:
“आ परदेसी तुझे घुमाऊं अपने शहर की गलियों में,
नए रंग कुछ तुम्हें मिलेंगे उड़ती हुई तितलियां में।”
उनकी पंक्तियों ने दर्शकों को प्रयागराज की सजीव झलक दिखाई।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां: गीत और नृत्य की रंगत
कवि सम्मेलन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई, जिसमें कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया।

मनीषा निरखी का सूफी गीत
मनीषा निरखी ने अपने गीत “सत्यम सुंदरम, दीपों से सजाया है घाट गंगा मैया” से गंगा की महिमा का वर्णन किया। उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को आध्यात्मिक आनंद से भर दिया।

अनन्या सिंह का कत्थक नृत्य
अनन्या सिंह ने कत्थक नृत्य नाटिका की अद्भुत प्रस्तुति दी। उनकी हर अदा में भारतीय संस्कृति की झलक मिली।