
यूपी कांग्रेस संगठन में बदलाव
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भंग करने का फैसला पार्टी के संगठनात्मक सुधार के तहत लिया गया। लंबे समय से निष्क्रिय नेताओं और खाली पड़े पदों की वजह से यूपी कांग्रेस अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं कर पा रही थी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आदेश जारी कर कहा कि संगठन को नया स्वरूप देने के लिए यह कदम जरूरी था।
2019 में प्रियंका गांधी की निगरानी में गठित प्रदेश कमेटी बीते पांच वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर चुकी है। इस दौरान कांग्रेस ने न केवल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन किया, बल्कि संगठन में नेतृत्व की कमी भी साफ दिखी।
राहुल गांधी का एजेंडा- सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना पर फोकस
राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना को कांग्रेस के मुख्य मुद्दों में शामिल किया है। उनका फोकस दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों को संगठित कर पार्टी के आधार को मजबूत करना है। 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन करते हुए छह सीटें जीतीं। यह सफलता आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के लिए प्रेरणा बनी है। संगठन के पुनर्गठन में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को प्राथमिकता देने की रणनीति तय की गई है।
कांग्रेस के संगठनात्मक बदलाव की रणनीति
- राष्ट्रीय सचिवों की नियुक्ति: पार्टी ने यूपी में छह राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किए हैं, जो जिलों का दौरा कर नए नेताओं की पहचान करेंगे।
- आवेदन प्रक्रिया: संगठन के सभी स्तरों पर नई भर्तियों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसमें दूसरे दलों से जुड़े नेता भी आवेदन कर सकते हैं।
- नए चेहरों को मौका: निष्क्रिय पदाधिकारियों की जगह सक्रिय, जमीनी कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाएगा।
प्रियंका गांधी के संगठन से राहुल गांधी के एजेंडे तक
2019 में प्रियंका गांधी ने यूपी में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया था। उन्होंने छह जोन में संगठन का विस्तार कर दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया। अब नए संगठन में राहुल गांधी के सामाजिक न्याय एजेंडे की झलक दिखेगी। उदयपुर चिंतन शिविर में तय किए गए फॉर्मूले के अनुसार संगठन में 68 प्रतिनिधित्व पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों का होगा।
कांग्रेस का मिशन-2027
कांग्रेस का लक्ष्य 2027 के विधानसभा चुनावों में प्रभावी वापसी करना है। इसके लिए पार्टी ने संगठन में सक्रियता और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने की योजना बनाई है। नए संगठन में छात्र नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाएगा। राहुल गांधी का फोकस संविधान रक्षा, जातीय जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर है, जिनके आधार पर संगठन तैयार किया जाएगा।