
प्रयागराज: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) प्रयागराज द्वारा शिल्प हाट में आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले की चौथी सांस्कृतिक संध्या ने भारतीय संस्कृति के समृद्ध और विविध रंगों का शानदार प्रदर्शन किया। इस सांस्कृतिक संध्या में गरबा, पनिहारी, छपेली और लावणी जैसे पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए गए, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और ऊर्जा का अद्भुत संगम थे।
शिल्प हाट सांस्कृतिक धरोहर का संगम
शिल्प हाट में जहां एक ओर हस्तनिर्मित वस्त्र, देशज परिधान और सुगंधित इत्र से भव्यता का माहौल था, वहीं दूसरी ओर टेराकोटा और लकड़ी के खिलौने, गृह सज्जा की सामग्रियां लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही थीं। मेला परिसर में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों की महक से वातावरण संजीवनी हो गया था। यह जगह न केवल खरीदारी के लिए, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा के जीवंत अनुभव के लिए भी एक आदर्श स्थल बन गई थी।

सांस्कृतिक संध्या की प्रमुख प्रस्तुतियां
सांस्कृतिक संध्या का आरंभ प्रयागराज के प्रसिद्ध भजन गायक संजय मित्रा द्वारा भजनों की प्रस्तुति से हुआ। उनकी आवाज में गाए गए ‘श्याम रंग रंगा रे’, ‘हे दुख बाहन हो रही है जय जय कार’ और ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ जैसे भजनों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके भजनों को श्रोताओं ने खूब सराहा और तालियों की गड़गड़ाहट से मुक्ताकाशी मंच गूंज उठा।
इसके बाद, महोबा से आए शरद अनुरागी और उनके दल ने ‘आल्हा गायन’ के जरिए महोबा की मशहूर ‘खट खट खट खट’ की प्रस्तुति दी। यह प्रदर्शन मध्य प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का परिचायक था। कश्मीर के कलाकारों ने अपने पारंपरिक परिधानों में सारंगी की मधुर तान पर ‘रऊफ नृत्य’ की प्रस्तुति दी, जो दर्शकों के लिए एक नया अनुभव था।
उत्तराखंड और महाराष्ट्र की पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियां
उत्तराखंड से प्रकाश विष्ट और उनके साथी कलाकारों ने ‘छपेली नृत्य’ से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इस नृत्य ने उत्तराखंड की माटी की खुशबू और लोक संस्कृति का जीवंत चित्र प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र से श्रद्धा सतविद्कर और उनके दल ने ‘लावणी नृत्य’ से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। लावणी का नृत्य महाराष्ट्र की परंपरा और उसकी अनोखी ऊर्जा का प्रतीक है।

गुजरात और तमिलनाडु का सांस्कृतिक योगदान
तमिलनाडु से शिवाजी राव और उनके दल ने ‘कड़गम- मयूर नृत्य’ की प्रस्तुति दी, जो उनके राज्य की पारंपरिक संस्कृति और नृत्य कला का अनमोल उदाहरण था। इसके अलावा, वनराज सिंह और उनके दल ने गुजरात के प्रसिद्ध ‘गरबा’ नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसने पूरे शिल्प हाट में एक उत्सवी माहौल बना दिया।
इस सांस्कृतिक संध्या का संचालन रेनूराज सिंह ने किया। उनके कुशल संचालन से कार्यक्रम की हर प्रस्तुति व्यवस्थित और आकर्षक रही।