
उत्तर प्रदेश में लागू नये आपराधिक कानून
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ] उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 नवम्बर को लखनऊ में उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में नवनिर्मित ऑडिटोरियम का उद्घाटन करते हुए राज्य के न्याय प्रणाली में सुधार के लिए लागू किए गए नये आपराधिक कानूनों के महत्व पर जोर दिया। इस मौके पर उन्होंने ‘नवीन आपराधिक कानूनों के अंतर्गत न्याय प्रक्रिया में फॉरेंसिक विज्ञान एवं साइबर सुरक्षा की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।
समय के साथ बदली अपराध की प्रकृति
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज समय के साथ अपराध की प्रकृति भी बदल गई है। उन्होंने बताया कि जब भारत में पहले कानून बने थे, तब की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियां अलग थीं और देश स्वतंत्र होने के बाद भी समय के अनुसार आवश्यक कानूनी बदलाव नहीं किए गए थे। योगी आदित्यनाथ ने बताया कि 1 जुलाई 2024 से लागू किए गए तीन नये कानून – भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 – आपराधिक संहिताएं नहीं हैं, बल्कि ये न्याय और नागरिक सुरक्षा की संहिताएं हैं।
कानूनों का उद्देश्य और प्रभाव
मुख्यमंत्री ने इन नये कानूनों की प्रमुख विशेषताओं को साझा करते हुए कहा कि इन कानूनों के तहत, किसी भी व्यक्ति को अपराधी मानने से पहले, उसे कठघरे में खड़ा करने के लिए ठोस साक्ष्य जुटाना जरूरी होगा। खासकर सात वर्ष से अधिक की सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य होंगे। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में उच्च स्तरीय प्रयोगशालाओं और संस्थानों की भूमिका की महत्वता पर भी बल दिया।
उत्तर प्रदेश की पुलिस प्रणाली में सुधार
योगी आदित्यनाथ ने राज्य में पुलिस व्यवस्था के सुधार की बात की और बताया कि उत्तर प्रदेश दुनिया का सबसे बड़ा सिविल पुलिस बल है। उन्होंने बताया कि 2017 से पहले पुलिस में आधे से अधिक पद खाली थे, लेकिन उनकी सरकार ने पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के तहत एक लाख 54 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों की भर्ती की है। हाल ही में 60,200 पुलिसकर्मियों की नई भर्ती प्रक्रिया भी पूरी की गई है।
साइबर सुरक्षा और फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं
मुख्यमंत्री ने राज्य में फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं के विस्तार का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में केवल चार स्थानों पर फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं थीं, जबकि अब सभी जोन स्तर पर एक अच्छी प्रयोगशाला स्थापित हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में 18 रेंजों में साइबर थाने और बाद में सभी 75 जनपदों में साइबर थानों की स्थापना की गई है। राज्य के सभी 1,775 थानों में एक-एक साइबर हेल्प डेस्क भी स्थापित की गई है।