
सपा का प्रयागराज में विवादित पोस्टर
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस हिंसा को लेकर अब सियासी पार्टियों के बीच तकरार शुरू हो गई है, और समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे पर एक विवादित पोस्टर के जरिए राज्य की बीजेपी सरकार पर हमला बोला।
समाजवादी पार्टी के विवादित पोस्टर ने इस मामले को और तूल दिया है। पुलिस की सख्ती और प्रशासनिक कदमों के बावजूद यह मुद्दा सियासी और सामाजिक बहस का कारण बन गया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले में और किस तरह की घटनाएं सामने आती हैं और इस पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया कैसी रहती है।
यह पोस्टर उत्तर प्रदेश के संगम नगरी प्रयागराज में समाजवादी पार्टी की छात्र सभा इकाई द्वारा लगाया गया। इसमें बीजेपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे और हिंसा को लेकर तंज भी कसा गया था। हालांकि, यह पोस्टर विवादों का कारण बना और पुलिस ने उसे हटा दिया। इस लेख में हम आपको इस पूरी घटना के बारे में विस्तार से बताएंगे, साथ ही इसमें उठाए गए सियासी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
क्या हुआ था संभल हिंसा में ?
संभल में हाल ही में मस्जिद सर्वे के दौरान एक हिंसक घटना घटित हुई थी। मस्जिद सर्वे के नाम पर कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, जो बाद में हिंसा में तब्दील हो गया। इस हिंसा के बाद पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को काबू करने के लिए तुरंत कदम उठाए, लेकिन इस घटना ने पूरे प्रदेश में आक्रोश पैदा कर दिया।
हिंसा में कई लोगों के घायल होने की खबरें आईं, और पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई की। लेकिन इस हिंसा के बाद राजनीति ने इस मुद्दे को और बढ़ा दिया। समाजवादी पार्टी ने संभल हिंसा को लेकर बीजेपी की नीतियों पर निशाना साधते हुए सियासी बयान दिए।
सपा के विवादित पोस्टर में क्या था?
समाजवादी पार्टी ने संभल हिंसा के संदर्भ में एक पोस्टर प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में सुभाष चौक पर लगाया। इस पोस्टर में भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए ‘गणतंत्र नहीं, गन-तंत्र’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था। इसके साथ ही पोस्टर में एक विवादित लाइन भी थी,’प्रभुता के आवेश में बौखलाया है सुल्तान, सांप्रदायिकता की आग में जल रहा है हिंदुस्तान।’
पोस्टर में आगे यह भी लिखा था कि ‘भाजपा जनमत पर नहीं बल्कि गन मत पर विश्वास करती है’ और इसमें संभल हिंसा की एक तस्वीर भी जोड़ी गई थी, जिसमें हिंसक घटनाओं के दृश्य दिखाए गए थे। इसके माध्यम से समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के तानाशाही रवैये को उजागर करने की कोशिश की थी।
पुलिस ने पोस्टर हटाया
समाजवादी पार्टी के इस पोस्टर ने न केवल सियासी हलकों में बल्कि आम जनता में भी बहस छेड़ दी। हालांकि, पुलिस ने इस पोस्टर को देखकर उसे तुरंत हटा दिया। प्रयागराज पुलिस का कहना था कि यह पोस्टर आपत्तिजनक था और इसके जरिए समाज में तनाव फैलाने की कोशिश की जा रही थी।
पुलिस ने पोस्टर को जब्त करते हुए कहा कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। इस घटना के बाद शहर में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है, ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे।
अलर्ट मोड पर प्रयागराज पुलिस
संभल हिंसा के बाद प्रयागराज पुलिस ने अलर्ट मोड में काम करना शुरू कर दिया है। शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है। पुलिस अधिकारियों ने जनता से किसी भी प्रकार के भड़काऊ बयान या अफवाहों से बचने की अपील की है। इसके अलावा, खुफिया तंत्र को भी सक्रिय कर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके।
पुलिस ने चेतावनी दी है कि यदि कोई भी व्यक्ति हिंसा फैलाने या गड़बड़ी करने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि स्थिति और अधिक खराब न हो।
सपा और भाजपा के बीच सियासी आरोप-प्रत्यारोप
समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती, बल्कि “गन तंत्र” के जरिए सत्ता का संचालन करती है। समाजवादी पार्टी के नेता ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वे चुनावी राजनीति के दौरान हिंसा और साम्प्रदायिक मुद्दों को बढ़ावा देती हैं।
वहीं, भाजपा ने समाजवादी पार्टी के इस पोस्टर को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और गलत आरोपों से भरा हुआ बताया है। पार्टी का कहना है कि यह पोस्टर समाज में दहशत फैलाने की साजिश है और इसका उद्देश्य सिर्फ चुनावी फायदे के लिए सामाजिक तानाबाना बिगाड़ना है।
संभल हिंसा पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
संभल हिंसा और प्रयागराज में लगाए गए पोस्टर के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। लोगों ने इस पर अपनी-अपनी राय दी है। कुछ लोगों ने इसे सियासी साजिश और सांप्रदायिक हिंसा का हिस्सा बताया, जबकि अन्य ने इसे चुनावी रणनीति करार दिया। सोशल मीडिया पर जारी बहस से यह साफ होता है कि इस मुद्दे पर जनता का दिलचस्पी बहुत ज्यादा है।