
क्या है जामा मस्जिद विवाद ?
संभल [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद हाल के वर्षों में विवाद का केंद्र बन गई है। इस मस्जिद के निर्माण को लेकर कई ऐतिहासिक दावे किए जा रहे हैं, जिनमें प्रमुख दावा यह है कि इसे मुग़ल सम्राट बाबर ने हिंदू मंदिर के स्थान पर बनवाया था। हालांकि, मौलाना मोईद ने अपने ‘तारीख़ ए संभल’ पुस्तक में इस दावे को नकारते हुए कहते हैं कि बाबर ने इस मस्जिद का निर्माण नहीं करवाया, बल्कि केवल इसकी मरम्मत करवाई थी। इस पर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच एक गंभीर विवाद ने जन्म लिया है।
क्या है विवाद का असल कारण?
संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद तब और बढ़ा जब कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी महाराज ने इस मस्जिद को ‘हरिहर मंदिर’ बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर की। महंत ने इस मस्जिद के सर्वे की मांग की थी और दावा किया था कि यह स्थल पहले एक हिंदू मंदिर था। अदालत ने इस याचिका पर 19 नवंबर को सुनवाई करते हुए सात दिनों के भीतर मस्जिद का सर्वे करवाने का आदेश दिया था।
अदालत में क्या हुआ?
अदालत के आदेश पर जब सर्वे टीम मस्जिद पहुँची, तो वहां भारी संख्या में लोग जमा हो गए। इससे तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, और कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा पुलिस पर पथराव की घटना हुई। हालांकि, मस्जिद के सर्वे का कार्य पुलिस की निगरानी में जारी रहा। अदालत ने रिपोर्ट जमा करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर को नियुक्त किया था, और 29 नवंबर को इस केस की अगली सुनवाई होगी।
मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है?
मुस्लिम पक्ष ने इस मस्जिद को लेकर पहले कभी किसी प्रकार का विवाद न होने की बात कही है। मसूद अहमद, जो मुस्लिम पक्ष के वकील हैं, उन्होंने इस मुद्दे को “कानूनी विवाद” से अधिक कुछ नहीं बताया है। उनका कहना है कि यह मस्जिद मुस्लिम धर्मस्थल है, और इसे विवादित करने का प्रयास किया जा रहा है।
हिंदू पक्ष का तर्क
हिंदू पक्ष के प्रमुख वकील, विष्णु शंकर जैन, जिन्होंने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में भी वकालत की है, ने इस सर्वे को एक कानूनी प्रक्रिया बताया है। उन्होंने बताया कि सर्वे पूरी तरह से संपन्न हो चुका है, और अब अदालत में रिपोर्ट पेश की जाएगी। जैन के मुताबिक, “यह एक लंबी प्रक्रिया है, और कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
ऐतिहासिक तथ्य क्या कहते हैं?
संभल की जामा मस्जिद का निर्माण तुगलक काल में होने का अनुमान है। मौलाना मोईद के अनुसार, बाबर ने 1526 में संभल का दौरा किया था, लेकिन उसने मस्जिद का निर्माण नहीं किया था। मस्जिद की स्थापत्य शैली भी मुग़ल काल से मेल नहीं खाती है, जो इसे तुगलक काल का प्रतीक बनाता है। यह मस्जिद वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है और एक संरक्षित स्थल के रूप में पहचानी जाती है।
विवाद का भविष्य
संभल की जामा मस्जिद का यह विवाद अब अदालत की प्रक्रिया में है। 29 नवंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी, जब सर्वे रिपोर्ट पेश की जाएगी और अदालत इसमें आगे की कार्यवाही करेगी। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों पक्षों के बीच कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी प्रकार का विवाद बढ़ने से बचने की अपील की गई है।
संभल की जामा मस्जिद के विवाद ने इतिहास, धर्म और कानून के बीच एक जटिल मुद्दा खड़ा कर दिया है। मस्जिद का वास्तविक इतिहास क्या है, यह निर्णय अदालत के माध्यम से ही स्पष्ट होगा। हालांकि, यह विवाद उन ऐतिहासिक स्थलों के महत्व को उजागर करता है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास का अहम हिस्सा हैं।