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प्रयागराज,[ TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए एक विशेष अवसर था जब हिंदुस्तान एकेडमी में मधुरेश मिश्रा की काव्य पुस्तक ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर के साहित्यिक और कला प्रेमियों ने भाग लिया और इस काव्य संग्रह के महत्व पर चर्चा की।
मुख्य अतिथि और उद्घाटन
लोकार्पण समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति डॉ. शेखर कुमार यादव, विशिष्ट अतिथि प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी और आयोजक मंडल प्रमुख श्री अखिलेश मिश्र ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय कवि, डॉ. श्लेष गौतम ने किया।
पुस्तक ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ पर चर्चा
कार्यक्रम में डॉ. श्लेष गौतम ने पुस्तक के सार तत्वों पर प्रकाश डाला और अपनी कविता ‘भले हो मुश्किलें, आगे बढ़ूंगा’ के माध्यम से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने बताया कि इस काव्य संग्रह में किसी प्रकार की बनावट या कृत्रिमता नहीं है, बल्कि यह हमारे दैनंदिन जीवन से गहरे संबंध रखता है।
कवि मधुरेश मिश्रा ने पुस्तक लिखने की प्रेरणा पर बात की और अपने बचपन के संघर्षों, बलिदान, और जीवन में आए कठिन समय की चर्चा की। उन्होंने बताया कि जीवन के हर पल से कुछ न कुछ सिखने की कला को उन्होंने अपनी कविताओं में उकेरा है।

काव्य संग्रह की विशेषताएं
विशिष्ट अतिथि प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पुस्तक में संस्कार और संस्कृति के अद्भुत स्वरूप को दर्शाया गया है, जो जीवन में कई बार अनजाने में व्यक्त होते हैं। वहीं, माननीय न्यायमूर्ति डॉ. शेखर कुमार यादव ने कविता को यशस्वी और अमर निधि के रूप में वर्णित किया और इस पुस्तक की विशेषता बताते हुए कहा कि इसमें महिलाओं की महत्ता को सुंदरता से चित्रित किया गया है।
समारोह में श्रोताओं की भागीदारी
इस आयोजन में 150 से अधिक साहित्य और कला प्रेमियों ने शिरकत की और पुस्तक को हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान माना। कार्यक्रम के अंत में आयोजक प्रमुख श्री अखिलेश मिश्र ने सफल आयोजन के लिए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।