
बसपा में अन्य स्टार प्रचारकों की अनुपस्थिति
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश में 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने प्रचार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि, इस चुनावी दौड़ में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कोई प्रमुख नेता प्रचार अभियान में सक्रिय नजर नहीं आ रहा है। पार्टी प्रमुख मायावती राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद और अन्य स्टार प्रचारकों की अनुपस्थिति से बसपा के उम्मीदवारों में निराशा और असमर्थता की भावना बढ़ रही है।
मायावती और अन्य नेता क्यों नहीं आए प्रचार में?
उत्तर प्रदेश विधानसभा की नौ सीटों पर हो रहे इस उपचुनाव में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ही अकेले नेता हैं जो पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार में जुटे हैं। मायावती, जो राज्य की प्रमुख नेता हैं, ने अभी तक इन उपचुनावों में किसी उम्मीदवार के पक्ष में कोई जनसभा या रैली नहीं की है। इसके अलावा, पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद और पूर्व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र भी किसी प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं हुए हैं।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि मायावती और आकाश आनंद झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं, इसी कारण वे उत्तर प्रदेश के उपचुनाव के लिए प्रचार करने में सक्षम नहीं थे।
प्रचार में नेताओं की अनुपस्थिति का प्रभाव
कानपुर की सीसामऊ सीट से बसपा के उम्मीदवार वीरेंद्र कुमार ने इस बात का उल्लेख किया कि यदि पार्टी के बड़े नेता प्रचार में आते तो कार्यकर्ताओं का उत्साह दोगुना हो जाता। कटेहरी सीट से उम्मीदवार अमित वर्मा ने भी इस समस्या को उठाते हुए कहा कि अगर मायावती या अन्य बड़े नेता प्रचार में आते तो स्थिति काफी अलग होती।
मुकाबले में अन्य दलों की सक्रियता
इसके विपरीत उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख दलों जैसे भाजपा, समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के लिए पूरे जोर-शोर से प्रचार किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने मैदान में उतरकर प्रचार में भाग लिया है, जिससे उनके प्रत्याशियों के लिए माहौल बनाने में मदद मिली है।
उपचुनाव में कौन सी सीटों पर हो रहे चुनाव?
उत्तर प्रदेश में जिन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें कटेहरी (आंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर शहर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज), कुंदरकी (मुरादाबाद) और गाजियाबाद शामिल हैं। इन सीटों में से आठ सीटें मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के कारण खाली हुई हैं।