
बुलडोजर पर 'सुप्रीम' एक्शन फाइल फोटो।
नोएडा [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। देश में बुलडोजर एक्शन के माध्यम से अतिक्रमण हटाने और अवैध निर्माण गिराने की कार्यवाही विवादों का केंद्र रही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने साफ किया कि केवल आरोपों के आधार पर किसी का घर नहीं गिराया जा सकता।
नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और कार्यपालिका की सीमाएं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ‘किसी का घर उसकी उम्मीद और आश्रय होता है।’ कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हर नागरिक का सपना होता है कि उसके पास एक सुरक्षित घर हो, जो केवल आरोपों पर छीनना गलत है। यह न्यायपालिका का कर्तव्य है कि वह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे और किसी भी राज्य की मनमानी कार्रवाई पर अंकुश लगाए।
कानून का शासन और निष्पक्षता
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, ‘कानून का शासन लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार है।’ न्याय प्रणाली में निष्पक्षता अनिवार्य है, जो कानून के प्रभावी कार्यान्वयन और नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जरूरी है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात कही, साथ ही यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी कि किसी भी व्यक्ति की संपत्ति मनमाने ढंग से नहीं छीनी जाएगी।
राज्य की जिम्मेदारी और मनमाने प्रयोग पर लगाम
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि वह नागरिकों की संपत्ति और अधिकारों की रक्षा के लिए जिम्मेदार है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि मनमानी शक्ति का प्रयोग संविधान के खिलाफ है और इससे जनता का प्रशासन पर से विश्वास उठ सकता है। जब राज्य की शक्ति का गलत उपयोग होता है, तो यह अराजकता को बढ़ावा देता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून के तहत सभी नागरिकों को मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा मिलनी चाहिए।
संवैधानिक लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
संवैधानिक लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि नागरिकों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा हो। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने यह संदेश दिया है कि राज्य को नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और अपने अधिकार का मनमाने तरीके से प्रयोग नहीं करना चाहिए।