
देवबंद के दारुल उलूम की फाइल फोटो।
सहारनपुर [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा लिया है। अब महिलाएं कुछ नियमों का पालन करते हुए संस्थान में प्रवेश कर सकेंगी। यह फैसला देश-विदेश से आने वाली महिलाओं की बढ़ती मांग और सामाजिक दबाव के मद्देनजर लिया गया है।
महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक का कारण
गत 17 मई को दारुल उलूम प्रबंधन ने महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई थी। इसकी मुख्य वजह यह बताई गई कि कई महिलाएं बेपर्दा होकर परिसर में घूम रही थीं और ऐतिहासिक इमारतों के सामने फोटो और वीडियो बना रही थीं, जिन्हें सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था। इससे न केवल संस्थान की गरिमा पर असर पड़ा, बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई।
नए नियमों के साथ अनुमति
दारुल उलूम प्रबंधन ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर एक नियमावली तैयार की है। इसके अनुसार, महिलाएं केवल दिन के समय यानी सूर्यास्त से पहले तक ही परिसर में प्रवेश कर सकेंगी। इसके अलावा, सभी महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य होगा, और वे केवल परिवार के पुरुष सदस्यों के साथ ही प्रवेश कर सकती हैं।
विजिटर पास और सुरक्षा के नियम
महिलाओं के प्रवेश को सुव्यवस्थित करने के लिए अब एक विजिटर पास जारी किया जाएगा, जिसकी वैधता दो घंटे की होगी। इसके लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड या पैन कार्ड जैसी पहचान का प्रमाण दिखाना होगा। पास प्राप्त करने के लिए एक फॉर्म में आगंतुक का नाम, मोबाइल नंबर, पता, और साथ में आने वाले सदस्यों की संख्या जैसी जानकारी देनी होगी।
मोबाइल फोन और वीडियोग्राफी पर पाबंदी
संस्थान में प्रवेश के दौरान सभी आगंतुकों का मोबाइल फोन मुख्य द्वार पर जमा करा लिया जाएगा, जिसे वापस जाते समय ही दिया जाएगा। परिसर के भीतर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
दारुल उलूम के प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि इन सभी शर्तों का उद्देश्य न केवल संस्थान की गरिमा को बनाए रखना है बल्कि संस्थान के भीतर अनुशासन और सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना है। इन नियमों का पालन करके ही महिलाएं परिसर में प्रवेश कर पाएंगी, जिससे मदरसे के छात्रों की पढ़ाई पर भी कोई प्रभाव न पड़े।
इस बदलाव के बाद दारुल उलूम में आने वाली महिलाएं नए नियमों का पालन कर संस्थान के भीतर जा सकेंगी। यह निर्णय उन सभी महिलाओं के लिए राहत लेकर आया है, जो लंबे समय से देवबंद स्थित इस ऐतिहासिक संस्थान को देखने की इच्छुक थीं।