
अखाड़ा परिषद Vs डिंपल यादव
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ मेले में गैर हिंदू व्यवसायियों को खानपान की दुकानें आवंटित नहीं करने की अखाड़ा परिषद की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए, समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने इसे गंगा-जमुनी तहजीब पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि यह मांग देश की धर्मनिरपेक्षता और संविधान की भावना के खिलाफ है। डिंपल यादव ने कहा, “ये लोग गंगा-जमुनी तहजीब को मिटाना चाहते हैं और धर्मनिरपेक्षता के तानेबाने को तहस नहस करना चाहते हैं।”
डिंपल यादव के बयान पर दुख
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने शुक्रवार को कहा कि डिंपल यादव का बयान “दुखद” है। उन्होंने कहा, “डिंपल स्वयं उत्तराखंड से हैं, जहां से बड़ी संख्या में साधु-संत महाकुंभ मेले में आते हैं। उन्हें इस बात की समझ होनी चाहिए कि इस तरह के फैसले साधु-संतों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए किए गए हैं।” महंत रवींद्र पुरी ने यह भी कहा कि साधु-संतों की भावनाओं को ठेस पहुंचने से रोकने के लिए गैर सनातनी दुकानदारों को खानपान की दुकानें आवंटित न करने की मांग उठाई गई है।
साधु-संतों की सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं का तर्क
अखाड़ा परिषद ने कहा कि महाकुंभ मेले में साधु-संतों की पवित्रता और धार्मिक विश्वास की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि खानपान की दुकानों का संचालन केवल सनातनी लोग ही करें। महंत रवींद्र पुरी ने तर्क दिया, “उत्तराखंड के जंगलों में तपस्या करने वाले साधु-संतों को गंदी या अशुद्ध चीजें खिलाए जाने की आशंका बनी रहती है, जो बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।” इसीलिए परिषद का आग्रह है कि गैर हिंदुओं को खानपान की दुकानों का आवंटन न हो।
विवाद का असर और महाकुंभ मेले की तैयारी
महाकुंभ मेले में लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना परिषद के अनुसार मेले का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में यह विवाद मेले की तैयारी और आयोजन में नई चुनौतियां ला सकता है। अखाड़ा परिषद ने अपने इस निर्णय पर अडिग रहते हुए कहा कि साधु-संतों की धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा के लिए यह मांग पूरी तरह उचित है।