
महाकुंभ 2025
प्रयागराज,[TV47 न्यूज़ नेटवर्क]। प्रयागराज के ऐतिहासिक महाकुंभ मेले में एक नया और ऐतिहासिक कदम उठाया जाएगा। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि की अगुवाई में कई दलित संतों को महामंडलेश्वर, महंत, थानापति और अन्य उच्च धार्मिक पदों पर आसीन किया जाएगा।
स्वामी महेंद्रानंद गिरि, जो स्वयं दलित समाज से आते हैं, ने इस बदलाव के बारे में जानकारी दी और बताया कि यह पहल सनातन धर्म के प्रति दलित समुदाय की भागीदारी को बढ़ाने और उन्हें सम्मान देने के उद्देश्य से की जा रही है।
स्वामी महेंद्रानंद गिरि ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, “अब तक हमने 907 लोगों को सन्यास दीक्षा दी है, जिनमें से 370 लोग दलित समाज से हैं। महाकुम्भ मेले में हम दलित समाज से आने वाले कई सन्यासियों का पट्टाभिषेक कर उन्हें उच्च पदों पर आसीन करेंगे।”
दलित संतों को मिलेगा प्रमुख धार्मिक पदों का दर्जा
स्वामी महेंद्रानंद गिरि ने आगे बताया कि महाकुंभ में होने वाले इस आयोजन के दौरान दलित संतों को महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत, पीठाधीश्वर, श्रीमहंत, थानापति और सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन किया जाएगा। यह कदम सनातन धर्म को एकजुट करने और समाज के विभिन्न वर्गों को बराबरी का दर्जा देने के लिए उठाया जा रहा है।
स्वामी महेंद्रानंद गिरि ने कहा, “हमारा उद्देश्य सनातन धर्म से वंचित और दूर किए गए लोगों को फिर से इस धर्म से जोड़ना है। इसके लिए हम उन्हें सनातन धर्म की शुचिता और आचार व्यवहार का प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि वे समाज में अपनी भूमिका और जिम्मेदारी को समझ सकें।”
दलित संत कैलाशानंद को महामंडलेश्वर बनाया गया
स्वामी महेंद्रानंद गिरि ने बताया कि चार महीने पहले प्रयागराज के यमुना तट पर स्थित मौजगिरि आश्रम में दलित संत कैलाशानंद को महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया गया था। यह कदम भी दलित समाज को सम्मान देने और उन्हें सनातन धर्म में मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से लिया गया था।
जूना अखाड़े का नेतृत्व और दलितों को जोड़ने की पहल
अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि के नेतृत्व में दलित समाज को सनातन धर्म से जोड़ने की जिम्मेदारी स्वामी महेंद्रानंद गिरि को सौंपी गई है। यह पहल भारतीय समाज में समानता और धार्मिक समरसता की ओर एक सकारात्मक कदम है।
स्वामी महेंद्रानंद गिरि ने यह भी बताया कि इस पहल के माध्यम से वे समाज के उन भटके हुए लोगों को सनातन धर्म में वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो समाज की मुख्यधारा से अलग हो गए थे।
महाकुंभ में दलित संतों का बढ़ता महत्व
महाकुंभ, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, हर बार नई धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहल का गवाह बनता है। इस बार के महाकुम्भ में दलित समाज को धर्म और आध्यात्मिक जीवन में समान स्थान मिलने से इस मेले का महत्व और भी बढ़ जाएगा। यह कदम दलितों को सनातन धर्म से जोड़ने, उनके अधिकारों को स्थापित करने और समाज में समानता की भावना को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम साबित होगा।