
दारुल उलूम देवबंद।
सहारनपुर [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित विश्व प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। संस्था ने बताया कि सोशल मीडिया पर उसके नाम से मौजूद सभी खाते फर्जी हैं और उनका दारुल उलूम प्रबंधन से कोई संबंध नहीं है। दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि सोशल मीडिया पर कई प्लेटफॉर्म पर उनके नाम से खाते बनाए गए हैं, जिन पर संस्था की फोटो और अन्य जानकारी साझा की जा रही है, जो कि संस्था की ओर से अधिकृत नहीं है।
दारुल उलूम का बयान
मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने स्पष्ट रूप से कहा कि दारुल उलूम देवबंद का सोशल मीडिया पर कोई आधिकारिक खाता नहीं है। सोशल मीडिया पर उनके नाम से संचालित सभी खाते फर्जी हैं और यह गलतफहमी का कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद से संबंधित सभी घोषणाएं और सूचनाएं केवल उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर ही दी जाती हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर दारुल उलूम से संबंधित जो भी जानकारी साझा की जा रही है, वह संस्थान की ओर से अधिकृत नहीं है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
सोशल मीडिया पर फर्जी खातों का प्रसार
दारुल उलूम देवबंद के नाम से कई फर्जी खाते फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद हैं। इन खातों पर संस्था के नाम से गलत जानकारी और खबरें साझा की जाती हैं, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। मुफ्ती नोमानी ने अपील की है कि इन फर्जी खातों का संचालन करने वाले लोग इन्हें बंद कर दें, क्योंकि यह संस्था की विश्वसनीयता और उसके सिद्धांतों के खिलाफ है।
कानूनी कार्यवाही की चेतावनी
नोमानी ने अपने बयान में यह भी कहा कि संस्था के नाम से फर्जी खाते चलाना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे खातों का प्रबंधन करने वालों को तुरंत इस गतिविधि को रोकना चाहिए, नहीं तो संस्था इस मामले में कानूनी कदम उठाने के लिए बाध्य होगी। उन्होंने सोशल मीडिया यूजर्स से भी आग्रह किया कि वे दारुल उलूम देवबंद से जुड़ी किसी भी सूचना को संस्था की आधिकारिक वेबसाइट से ही सत्यापित करें।
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