
फाइल फोटा।
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव 2024 में प्रमुख राजनीतिक दलों ने पिछड़े समुदाय के उम्मीदवारों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। मीरापुर, कुंदरकी, गाज़ियाबाद, खैर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर, कटेहरी और मंझवा जैसी सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार चयन किया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में पिछड़े उम्मीदवारों पर जोर देकर भाजपा और समाजवादी पार्टी ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बनाई है। उपचुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि 2027 के विधानसभा चुनाव में कौन सी पार्टी अपने फॉर्मूले के सहारे सफलता की ओर बढ़ेगी।
समाजवादी पार्टी का पीडीए फॉर्मूला और भाजपा की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूला अपनाया था। इसमें उसे 37 सीटों पर सफलता मिली। इसी सफलता को देखते हुए उपचुनाव में सपा ने चार मुस्लिम, दो दलित और तीन ओबीसी समुदाय के उम्मीदवार उतारे हैं। इस बार भाजपा ने सपा के पीडीए फॉर्मूले का मुकाबला करते हुए ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित और अगड़ा) फॉर्मूला अपनाया है। भाजपा ने कुल चार ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं और कुछ सीटों पर अगड़ी जाति के प्रत्याशी भी मैदान में उतारे हैं।
भाजपा के लिए चुनौतियां और सपा की रणनीति
भाजपा की चुनावी रणनीति में पिछड़े वर्ग के वोटरों को आकर्षित करना एक अहम पहलू है। पार्टी ने चार पिछड़े उम्मीदवारों को प्रमुख सीटों पर उतारा है। सपा की ओर से गैर-आरक्षित सीटों पर आरक्षित जातियों के प्रत्याशी उतारने की रणनीति अपनाई गई है, ताकि पारंपरिक वोट बैंक को स्थिर रखा जा सके। गाज़ियाबाद सीट पर सपा ने जाटव जाति से उम्मीदवार उतारकर बसपा के प्रभाव वाले इस समुदाय को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की है।
बसपा और कांग्रेस की स्थिति
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने नौ में से चार सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं। बसपा का कहना है कि उनका फोकस दलित और पिछड़े समुदाय के असल हितों की रक्षा करना है। वहीं, कांग्रेस ने इस चुनाव में सपा को समर्थन दिया है।
उपचुनाव का महत्त्व और योगी आदित्यनाथ के लिए चुनौती
विशेषज्ञों के अनुसार, यह उपचुनाव सत्ताधारी भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस चुनाव से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और सरकार की नीतियों का परीक्षण होगा। भाजपा के लिए उपचुनाव के नतीजे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह 2027 विधानसभा चुनाव के दृष्टिकोण से एक बड़ा संकेत हो सकता है।