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लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर आगामी 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) के सहयोगी दलों के बीच सीटों की हिस्सेदारी को लेकर गहन चर्चा और पैरवी चल रही है। भाजपा और सपा दोनों ही दलों के सहयोगी अपने-अपने हिस्से की सीटें मांग रहे हैं, जिसके कारण राजनीतिक गणित में दांव-पेच बढ़ गए हैं।
सपा-कांग्रेस गठबंधन और सीट बंटवारा
समाजवादी पार्टी ने अब तक नौ में से सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं। हालांकि, कांग्रेस अभी भी कम से कम “पांच सीटों” की मांग पर अड़ी हुई है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि गठबंधन समझौते के तहत उन्होंने पांच सीटों की मांग की थी और वह उस पर कायम हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय कांग्रेस आलाकमान करेगा।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने करहल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है। उन्होंने इस विषय पर कोई विशेष जानकारी नहीं दी, लेकिन कांग्रेस की मांग और सपा के उम्मीदवारों की घोषणा के बीच गठबंधन में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
भाजपा और उसके सहयोगी दलों में सीटों को लेकर खींचतान
सत्तारूढ़ भाजपा को भी अपने सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। निषाद पार्टी, जो कि भाजपा की सहयोगी है, अपनी दो सीटों की मांग को लेकर दिल्ली में सक्रिय है। निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद मिर्जापुर जिले की मझवा और अंबेडकर नगर की कटहरी विधानसभा सीटें मांग रहे हैं, जहां उन्होंने 2022 के चुनावों में अपने सिम्बल पर चुनाव लड़ा था।
निषाद पार्टी का तर्क है कि मझवा से उनके विधायक विनोद बिंद के 2024 में सांसद बनने के बाद उपचुनाव जरूरी हो गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि कटहरी में हारने के बावजूद उनका दावा मजबूत है। वहीं, भाजपा की अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की नजर मीरापुर सीट पर है, जिसे उसने 2022 के चुनाव में जीता था। रालोद ने इस उपचुनाव में खैर सीट की भी मांग की है।
उपचुनाव का शेड्यूल
निर्वाचन आयोग के अनुसार, 13 नवंबर को उत्तर प्रदेश की करहल, कुंदरकी, कटेहरी, सीसामऊ, खैर, गाजियाबाद सदर, मीरापुर, मझवा और फूलपुर विधानसभा सीटों पर मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी। अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट पर अदालत में मामला लंबित होने के कारण वहां चुनाव नहीं हो रहा है।
2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मझवा और कटहरी सीटें निषाद पार्टी को दी थीं, जहां मझवा में जीत हुई लेकिन कटहरी में हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने खैर, गाजियाबाद सदर, और फूलपुर सीटें जीतीं थीं, जबकि सपा ने पांच सीटों पर और उस समय उसके सहयोगी रहे रालोद ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी।
राजनीतिक गणित और सीटों का संघर्ष
सपा-कांग्रेस और भाजपा के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान से यह साफ है कि उपचुनाव की यह लड़ाई सिर्फ सीटों की नहीं, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा है। सभी दल और उनके सहयोगी राज्य की राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए जोर लगा रहे हैं।
अब देखना होगा कि अंतिम क्षणों में कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर समझौता करती है और किसके हिस्से में जीत की ज्यादा सीटें आती हैं।