
सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा की फाइल फोटो।
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। प्रयागराज के महाकुंभ द्वार से हटाई गई सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा को लेकर हाल ही में एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिमा हटाने के कदम पर भाजपा सरकार को निशाने पर लेते हुए, भविष्य में इसे पुनर्स्थापित करने का संकल्प लिया है। इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में प्रतिमा के स्थान को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
प्रतिमा हटाने पर विवाद की शुरुआत
दो दिन पहले अलोपीबाग तिराहे से सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा को लोक निर्माण विभाग द्वारा हटाकर सीएमपी चौराहे पर स्थापित किया गया। मेला प्रशासन का तर्क था कि यह कदम आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) के निर्माण के चलते लिया गया है। हालांकि, प्रतिमा का हटना कुछ लोगों के लिए संवेदनशील मुद्दा बन गया, खासकर जब सम्राट हर्षवर्धन को प्रयागराज कुंभ में अपना सारा खजाना दान करने वाले सम्राट के रूप में पूजा जाता है।
अखिलेश यादव का ट्वीट और पुनर्स्थापना का वादा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लेकर ट्विटर पर भाजपा सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हर्षवर्धन की प्रतिमा को उसके मूल स्थान पर ससम्मान पुनर्स्थापित किया जाएगा। उनके ट्वीट के बाद राजनीतिक सियासत ने जोर पकड़ लिया। अखिलेश यादव का कहना है कि यह कदम सरकार की अनदेखी और धार्मिक इतिहास की उपेक्षा को दर्शाता है।
भाजपा की सफाई: विकास कार्यों के लिए जरूरी कदम
वहीं, भाजपा समर्थकों का कहना है कि यह कदम विकास कार्यों के लिए आवश्यक था। उन्होंने तर्क दिया कि अलोपीबाग तिराहे पर प्रतिमा के कारण यातायात जाम की स्थिति बनी रहती थी, और इसे हटाकर सीएमपी चौराहे पर स्थानांतरित करना एक व्यावहारिक फैसला था। भाजपा के अनुसार, यह एक तकनीकी और आवश्यक कदम था न कि राजनीतिक।
प्रतिमा हटाने के पीछे के कारण
मेला प्रशासन के अनुसार सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा को हटाने का निर्णय आरओबी निर्माण के तहत लिया गया था। इससे यह तिराहा सुगम हो सके और यातायात की समस्याओं से निजात मिले। इस तर्क को लेकर जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोग इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे अनावश्यक विवाद का कारण मान रहे हैं।
भविष्य में प्रतिमा की पुनर्स्थापना का संकल्प
अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में स्पष्ट किया कि वह भविष्य में प्रतिमा को उसके मूल स्थान पर पुनर्स्थापित करेंगे। यह संकल्प सपा के समर्थकों के लिए एक प्रमुख मुद्दा बन गया है, जो इस घटना को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं।