
करवा चौथ की फाइल फोटो।
लखनऊ, [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। करवा चौथ का व्रत हर सुहागिन महिला के जीवन में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए दिनभर का उपवास रखती हैं। लेकिन जेल में बंद महिला कैदियों के लिए यह पर्व अक्सर अधूरा रह जाता था। उन्हें अपने पति के साथ इस खास दिन को मनाने का अवसर नहीं मिल पाता था। लेकिन अब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान के प्रयासों से इस स्थिति में बदलाव आया है।
जेल में कैदी महिलाएं मना सकेंगी करवा चौथ
राज्य महिला आयोग की पहल के तहत, अब जेल में बंद महिला कैदी भी अपने पति के साथ करवा चौथ मना सकेंगी। आयोग ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जेल में कैदी महिलाएं अपने पति के साथ इस पावन पर्व को मना सकें। इस पहल के तहत न केवल महिला कैदी, बल्कि पुरुष कैदियों की पत्नियां भी आकर जेल में अपने पति के साथ करवा चौथ मना पाएंगी।
महिलाओं के लिए करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है, और हर महिला इसे पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाती है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत तोड़ती हैं। जेल में बंद महिलाओं के लिए इस अवसर पर अपने पति के दर्शन और उनके साथ त्योहार मनाना एक अनमोल अनुभव होगा।
कैसे हुआ यह बदलाव?
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान ने महिलाओं के इस दर्द को समझते हुए इस विशेष पहल की शुरुआत की। उनका मानना है कि हर महिला को अपने जीवन साथी के साथ यह पर्व मनाने का अधिकार है, चाहे वह कहीं भी हो। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस नई व्यवस्था को लागू करने का निर्देश दिया है।
महिला कैदियों के लिए यह पहल क्यों खास है?
समान अधिकार: इस पहल के माध्यम से जेल में बंद महिलाओं को भी वह अधिकार मिलेगा जो बाहरी दुनिया की महिलाओं को मिलता है – अपने पति के साथ करवा चौथ मनाने का। मनोबल में वृद्धि: इस पहल से कैदियों का मनोबल बढ़ेगा और उन्हें समाज से जुड़ने का एक खास अवसर मिलेगा। परिवारिक संबंधों में मजबूती: करवा चौथ पर पति-पत्नी के बीच विशेष संबंध होता है। इस पहल से कैदियों के रिश्तों में भी मजबूती आएगी।
बबिता चौहान का यह प्रयास प्रशंसनीय
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान ने इस कदम से न केवल महिला कैदियों को राहत दी है, बल्कि समाज में महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश भी दिया है। उनका यह प्रयास सराहनीय है, और यह दर्शाता है कि समाज के हर तबके की महिलाओं को समान अवसर और अधिकार मिलना चाहिए।
राज्य महिला आयोग की इस पहल के चलते अब जेल में बंद महिलाएं भी अपने पति के साथ करवा चौथ जैसे महत्वपूर्ण पर्व को मना सकेंगी। यह पहल महिला सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की दिशा में एक अहम कदम है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में प्रेरणादायक साबित हो सकता है।