
हाई कोर्ट की फाइल फोटो।
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी 2024 को दिए गए आदेश को वापस लेने की अर्जी पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
इस विवाद में हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाने और भूमि का कब्जा लेकर मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दायर किए हैं। अदालत ने 11 जनवरी 2024 को हिंदू पक्ष द्वारा दायर सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ने का आदेश दिया था, जिसे मुस्लिम पक्ष ने चुनौती दी है।
मुस्लिम पक्ष की दलीलें
मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तस्लीमा अजीज अहमदी ने अदालत में तर्क दिया कि सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ने से मुस्लिम पक्ष अपने अधिकारों से वंचित हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया समय से पूर्व है क्योंकि अभी तक मुद्दे तय नहीं हुए हैं और साक्ष्य एकत्र नहीं किए गए हैं।
हिंदू पक्ष का तर्क
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों का विरोध करते हुए कहा कि जब अदालत ने संपत्ति, प्रतिवादी और राहत को समान माना है, तो मुकदमों को समेकित करना न्यायालय का अधिकार है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष की आपत्तियां सिर्फ सुनवाई को विलंबित करने का प्रयास हैं।
मुकदमों की पृष्ठभूमि
हिंदू पक्ष का दावा है कि मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बने मंदिर को ध्वस्त कर बनाई गई थी। हिंदू पक्ष ने मंदिर के पुनः निर्माण और जमीन के कब्जे की मांग को लेकर ये मुकदमे दर्ज किए हैं। मुस्लिम पक्ष ने इन मुकदमों का विरोध विभिन्न कानूनी आधारों पर किया है, जिनमें वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन शामिल है।
अदालत का रुख
न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा है। इससे पहले, अदालत ने 1 अगस्त 2024 को एक आदेश में हिंदू पक्ष के मुकदमों की पोषणीयता पर फैसला दिया था और कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं।