
हाई कोर्ट की फाइल फोटो।
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि लंबे समय से आपसी सहमति से हुआ व्यभिचार, जिसमें प्रारंभ से धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं हो दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। न्यायालय ने इस आधार पर एक व्यक्ति के खिलाफ चल रहे दुष्कर्म के मामले को रद कर दिया।
मामला मुरादाबाद की एक महिला का
यह मामला मुरादाबाद की एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर से संबंधित था। इसमें महिला ने अपने पति की मृत्यु के बाद एक व्यक्ति पर शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने कहा कि जब तक यह साबित नहीं होता कि आरोपी ने प्रारंभ से ही शादी का झूठा वादा किया, तब तक सहमति से बनाए गए यौन संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता।
न्यायालय का तर्क
अदालत ने यह भी माना कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच लगभग 12-13 वर्षों तक शारीरिक संबंध रहा और यह संबंध उस समय से था जब महिला का पति जीवित था। अदालत ने यह भी पाया कि महिला ने अपनी उम्र से छोटे व्यक्ति पर अनुचित प्रभाव डाला।
न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के नईम अहमद बनाम हरियाणा सरकार के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हर शादी के वादे को तोड़ने को झूठा वादा नहीं माना जा सकता और इसे दुष्कर्म का आधार नहीं बनाया जा सकता।