
इलाहाबाद हाई कोर्ट।
प्रयागराज, [TV 47 न्यूज़ नेटवर्क] बृहस्पतिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में डीएम रविंद्र कुमार और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में करछना पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण मामले की सुनवाई हुई। अधिकारियों ने हलफनामा पेश किया, जिसमें दावा किया गया कि किसानों की सहमति से उनकी जमीन दूसरी जगह स्थानांतरित की गई है। कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले किसानों को हलफनामे पर जवाब देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को निर्धारित की है। न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की बेंच ने जिलाधिकारी प्रयागराज, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी और विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता को व्यक्तिगत हाजिरी से राहत देते हुए यह आदेश जारी किया है।
बता दें कि यह मामला बसपा शासनकाल (2007-12) का है, जब कुल आठ गांवों के 1300 किसानों की जमीन पावर प्लांट के लिए अधिग्रहीत की गई थी। हालांकि, किसानों को मुआवजे का भुगतान करने के बावजूद कुछ ने भुगतान नहीं लिया। भूमिपूजन के दौरान जब किसानों ने नौकरी और अन्य सुविधाओं की मांग की, तो जेपी समूह ने इसे ठुकरा दिया।
इस पर 29 किसानों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद पावर प्लांट का काम रुक गया। सपा सरकार के आने के बाद भी किसानों को मनाने की कोशिशें सफल नहीं हुईं। किसानों के लगातार प्रदर्शन के चलते जेपी समूह ने पावर प्लांट लगाने से मना कर दिया। कोर्ट में दायर अवमानना याचिका का कारण यह है कि जिन किसानों की जमीन दूसरी ग्राम सभा में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था, उसका अनुपालन नहीं किया गया।
इस मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं और अगली सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी है। किसानों की समस्या को लेकर न्यायालय की सक्रियता को देखते हुए सभी की नजरें 24अक्टूबर की सुनवाई पर टिकी हैं।