
घाटी में आतंकी हमले। फाइल फोटो।
नई दिल्ली [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। वर्ष 2024 में जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में आतंकवादी सक्रियता बढ़ी है। इस वर्ष घाटी में पांच बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं। इन आतंकी हमलों में सेना और सुरक्षा बलों के कई जवान शहीद हुए हैं। इससे घाटी में एक बार फिर दहशत का माहौल है। नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में आतकी हमलों और पत्थरबाजी की घटनाओं पर कमी आई थी, लेकिन इस वर्ष हुए सिलसिलेवार आतंकी हमलों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए हम आपको बताते हैं इस दशक में आतंकी हमलों का लेखा-जोखा। आखिर इस दशक में कितने आतंकी हमले हुए? इन आतंकवादी हमलों में वृद्धि क्यों हुई? इस मामले में राजनीतिक विशेषज्ञों की क्या राय है।
आम चुनाव के बाद घाटी में सक्रिय हुए आतंकवादी
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक मामलों के जानकार देवेंद्र शुक्ला घाटी में आतंकवादियों की सक्रियता को आम चुनाव से जोड़कर देखते हैं। उनका कहना है कि 2024 के आम चुनाव के बाद घाटी में आतंकवादियों की सक्रियता बढ़ी है। देवेंद्र ने कहा कि इसकी वजह साफ है। अगर आप आंकड़ों पर जाए तो यह पाएंगे कि जब तक केंद्र में भाजपा की स्थिर और स्थायी सरकार रही आतंकियों की मजाल नहीं थी कि वह सरहद पार करने की हिम्मज जुटा पाते। आतंकवादियों के आका भी सहमे रहते थे। यही कारण है मोदी सरकार के पूर्ण बहुमत के समय आतंकी हमलों में कमी आई। पुलवामा हमले के बाद सरकार के रुख से वह भयभीत थे।
मजबूत मोदी सरकार ने उठाया सख्त कदम
उन्होंने कहा कि आप को याद होगा कि पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया था। भारतीय सेना ने आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करके उनके ठिकानों को तबाह किया था। इससे न केवल आतंकवादी बल्कि पाकिस्तान सरकार भी बैकफुट पर आ गई थी। उस वक्त केंद्र में मजबूत मोदी सरकार ने यह संदेश दिया था कि आतंकवादियों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीमा पार से आतंकवाद के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। उन्होंने कहा कि कूटनीतिक स्तर पर भी जो प्रयास किए गए उससे पाकिस्तान की वैश्विक स्तर पर बड़ी थू-थू हुई थी। यह मिलीजुली या गठबंधन सरकार में संभव नहीं है। गठबंधन सरकार की अपनी मजबूरियां होती है।
2024 में अब तक हो चुके हैं पांच बड़े हमले
2024 में जम्मू-कश्मीर में अब तक पांच बड़े आंतकी हमले हो चुके हैं। इनमें सबसे पहला हमला 4 मई को हुआ था। इस हमले में एक सुरक्षा जवान की मौत हो गई थी। यह हमला पूंछ में किया गया था। इसके बाद 11 जून कटुहा में हुए आंतकी हमले में एक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गया था। 8 जुलाई को कटुहा के बड़नोता गांव में हुए आंतकी हमले में 5 जवान शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ में एक आंतकी भी मारा गया था। हाल ही में 15 जुलाई को हुए हमले में आर्मी कैप्टन समेत चार जवान शहीद हो हुए। इसकी तुलना में 2023 में घाटी में चार हमले हुए थे।
गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार
वर्ष – सुरक्षा बलों की मौत
2017 80
2018 91
2019 80
2020 62
2021 35
(जम्मू-कश्मीर पुलिस के कार्मिकों समेत सुरक्षा बल कार्मिक मारे गए}
वर्ष – जवान घायल
2017 226
2018 238
2019 140
2020 106
2021 86
(जम्मू और कश्मीर पुलिस के कार्मिकों समेत सुरक्षा बल कार्मिक घायल)
वर्ष – नागरिक मरे
2017 40
2018 39
2019 39
2020 37
2021 40
(आम आदमी नागरिक मारे गए)
वर्ष – नागरिक घायल
2017 99
2018 63
2019 188
2020 112
2021 72
(आम आदमी इन गतिविधियों में घायल हुए हैं)
वर्ष – कुल मौत – नागरिक की मौत- सुरक्षा बल की मौत
2000 – 1385 – 641- 441
2001 – 2084 – 1024 – 628
2002 – 1642- 837 – 447
2003 – 1427 – 563 – 319
2004 – 1061 – 437 – 318
2005 – 1004 – 454 – 220
2006 – 694 – 256 – 172
2007 – 427 – 127 – 119
2008 – 261 – 71 – 85
2009 – 208 – 53 – 73
2010 – 189 – 34 – 69
2011 – 119 – 33 – 31
2012 – 70 – 19 – 18
2013 – 84 – 19 – 53
2014 – 91 – 28 – 47
2015 – 86 – 19 – 41
2016 – 112 – 14 – 88
2017 – 163 – 54 – 83
2018 – 206 – 86 – 95
2019 – 135 – 42 – 78
2020 – 140 – 33 – 56
2021 – 153 – 36 -45
2022 – 151 – 30 – 30
2023 – 72 – 12 – 33
2024 – 33 – 17 – 16
Total** 11997 4939 3605