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पटना [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का सवाल सदियों से चर्चा का विषय रहा है। चुनावी मैदान में महिलाओं को टिकट देना या न देना, यह सवाल न सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच बल्कि जनता के बीच भी अहम चर्चा का विषय है। इस लेख में हम बिहार चुनाव में महिलाओं को टिकट देने के आंकड़ों, पार्टियों की भागीदारी, और महिलाओं की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
बिहार चुनाव में महिलाओं का वोटर रोल और उनकी भूमिका
बिहार में महिलाओं का वोटर प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा है। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि महिलाओं का मतदान में हिस्सा बढ़ रहा है और उनकी भूमिका चुनावी प्रक्रिया में अहम हो गई है। महिलाएं न केवल वोटर हैं, बल्कि चुनावी प्रचार और राजनीति में सक्रिय भागीदारी भी कर रही हैं।
राजनीतिक दलों का महिलाओं को टिकट देने का रुख
बिहार में मुख्य राजनीतिक दल—एनडीए, महागठबंधन, और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने वाली पार्टियां—महिलाओं को टिकट देने के मामले में कितनी सक्रिय हैं?
एनडीए का महिला टिकट
एनडीए गठबंधन के तहत, बीजेपी, जेडीयू, और सहयोगी पार्टियों ने कुल कितनी महिलाओं को टिकट दिया है?
- बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर 26 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
- सीटों का बंटवारा: 101 सीटें, जिनमें से 13-13 महिलाओं को मिले।
- यह भागीदारी करीब 13 प्रतिशत से भी कम है, जो दर्शाता है कि पुरुष उम्मीदवारों का प्रभुत्व कायम है।
महागठबंधन का महिला टिकट
महागठबंधन में, आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और अन्य दलों की भागीदारी कैसी है?
- आरजेडी ने सबसे अधिक 24 महिलाओं को टिकट दिया है, जिनमें से एक का नामांकन रद्द हो गया है।
- कांग्रेस ने कुल 5 महिलाओं को टिकट दिया है।
- वीआईपी ने 14 सीटों में से केवल 1 पर महिला उम्मीदवार उतारी है।
- कुल मिलाकर, महागठबंधन में महिलाओं की भागीदारी लगभग 10-12 प्रतिशत है।
अन्य दल और महिला भागीदारी
- लिबरल और वाम दल भी महिलाओं को टिकट देने में पीछे नहीं हैं।
- जनसुराज, बसपा, और छोटे दलों ने भी महिलाओं को मौका दिया है, लेकिन संख्या सीमित है।
सबसे अधिक महिलाओं को टिकट देने वाली ?
- आरजेडी: सबसे अधिक 24 महिलाओं को टिकट।
- बीजेपी और जेडीयू: दोनों ने 13-13 महिलाओं को टिकट दिया, कुल 26।
- कांग्रेस: केवल 5 महिलाओं को टिकट।
- महागठबंधन के अन्य दल: मामूली संख्या में।
पार्टी वादे करती हैं महिलाओं को अधिक भागीदारी का, लेकिन चुनावी टिकटों के आंकड़ों में वास्तविकता दिखती है कि महिलाओं का हिस्सा अभी भी बहुत कम है।
पिछले चुनाव के आंकड़े
- साल 2020 में, कुल 370 महिलाएं उम्मीदवार थीं, जिनमें 26 जीत कर विधानसभा पहुंचीं।
- साल 2015 में, 272 महिलाओं ने भाग लिया, जिनमें से 28 विजेता रहीं।
वर्तमान चुनाव का संदर्भ
- इस बार, महिलाओं की भागीदारी करीब 10-12 प्रतिशत है, जो पिछले वर्षों की तुलना में कम या बराबर ही है।
महिलाओं की भागीदारी क्यों जरूरी है?
- महिलाओं का वोटर रोल बढ़ रहा है, इसलिए उनके हितों का संरक्षण जरूरी है।
- महिलाओं के मुद्दे, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, विकास, और सशक्तिकरण, राजनीति का केंद्र बन गए हैं।
- राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे महिलाओं को टिकट देने के साथ-साथ उनकी संख्या भी बढ़ाएं, ताकि समाज में समानता आए।
