रक्षाबंधन पर इस बार नहीं आयेंगी भद्रा
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति का अत्यंत पावन और प्रेमपूर्ण पर्व है, जो बहनों द्वारा भाइयों की रक्षा और प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष इस त्योहार का शुभ मुहूर्त ज्योतिषीय दृष्टिकोण से निर्धारित किया जाता है। इस बार 2025 में रक्षाबंधन पर खास बात यह है कि भद्रा का साया नहीं है, जिससे यह पर्व और भी अधिक शुभ और फलदायी हो गया है।
ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. मुकेश मिश्रा के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन अभिजीत मुहूर्त में मनाया जाएगा, जो अपने आप में विशेष महत्व रखता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि इस बार रक्षाबंधन कब और कैसे मनाएं, किन मुहूर्तों में व्रत करें, साथ ही ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इस पर्व का महत्व समझेंगे।
श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि और रक्षाबंधन का महत्व
वैदिक पंचांग के अनुसार, श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। श्रावण मास का महीना भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है, जो धार्मिक और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस वर्ष 2025 में श्रावण पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से होगा और समाप्ति 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक है। इस समय सीमा में ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाना उत्तम माना जाता है।
उदया तिथि और त्योहार का निर्धारण
उदय तिथि का प्रभाव त्योहार के दिन पर पड़ता है। इस बार, चूंकि पूर्णिमा तिथि का उदय 8 अगस्त को दोपहर के बाद होगा, इसलिए इस त्योहार को 9 अगस्त को मनाने की सलाह दी जाती है। इससे शुभता और फलप्राप्ति में वृद्धि होती है।
2025 में खास मुहूर्त: भद्रा का साया नहीं, अभिजीत मुहूर्त का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में भद्रा का साया शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। विशिष्ट मुहूर्त में ही शुभ कार्य करना चाहिए। इस बार, रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं है, जो कि एक बहुत बड़ी खुशखबरी है।
मुख्य शुभ मुहूर्त:
- अभिजीत मुहूर्त: 11:39 से 12:32 बजे तक
- सामान्य शुभ अवधि: 11:39 से 12:32 बजे तक
- राहु काल: सुबह 8:48 से 10:27 बजे तक, इस समय व्रत व राखी बांधना वर्जित है।
क्यों है अभिजीत मुहूर्त खास ?
अभिजीत मुहूर्त को भारतीय पौराणिक ग्रंथों में अत्यंत शुभ माना गया है। यह मुहूर्त सूर्य के मध्याह्न में आता है और इसे “सर्वोत्तम मुहूर्त” माना जाता है। इस समय किया गया कार्य सफल और शुभ फलदायी होता है।
ज्योतिषी डॉ. मुकेश मिश्रा के विचार
ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. मुकेश मिश्रा के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन का दिन विशेष रूप से शुभ है क्योंकि भद्रा का साया नहीं है, जो कि शुभ कार्यों के लिए अनुकूल स्थिति है। उन्होंने कहा कि “अभिजीत मुहूर्त में राखी बांधना, व्रत करना और पूजन करना अत्यंत फलदायी रहेगा। इससे भाई-बहनों के रिश्ते में प्रेम और सुरक्षा का संचार होगा।”
संकुल त्रिपाठी ने यह भी कहा कि इस बार का ग्रह स्थिति भी शुभ संकेत दे रही है, जो इस त्योहार को और अधिक सकारात्मक बनाता है। उन्होंने सलाह दी कि इस दिन व्रत, पूजन और रक्षा सूत्र बांधने का कार्य शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए।
रक्षाबंधन का इतिहास और धार्मिक महत्व
ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. मुकेश मिश्रा के अनुसार, इस समय का सदुपयोग कर आप अपने संबंधों को मजबूत कर सकते हैं। आइए, इस पावन अवसर पर अपने भाई-बहनों का सम्मान करें और उनके जीवन में खुशहाली और सुरक्षा का संचार करें।
रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति में सदियों से मनाया जा रहा है। यह पर्व भाई-बहन के अद्भुत प्रेम और रक्षा का प्रतीक है। पुराणों में इसका उल्लेख है कि भगवान कृष्ण और द्रौपदी के संबंधों का स्मरण इस पर्व के साथ जुड़ा हुआ है।
इतिहास कहता है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनके लंबे जीवन और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं, भाई भी अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं।
त्योहार मनाने का सही तरीका और शुभ कार्य
रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन अत्यंत आवश्यक है। इस बार, अभिजीत मुहूर्त में राखी बांधना एवं पूजन करना शुभ फलदायी रहेगा।
मुख्य कार्य:
- सफाई और पूजा: घर को स्वच्छ करें और भगवान की पूजा करें।
- राखी बांधना: शुभ मुहूर्त में राखी बांधें।
- अक्षत और रोली का प्रयोग: रक्षा सूत्र के साथ अक्षत और रोली का प्रयोग करें।
- मिष्ठान और फल: प्रसादी में मिठाई और फल जरूर रखें।
- भाई के हाथ में राखी बांधना: भाई के हाथ में रक्षा सूत्र बांधें और मंगलकामना करें।
- व्रत और उपवास: यदि संभव हो तो व्रत रखें, जिससे शुभता और फलदायी लाभ प्राप्त हो।
